Kundli Tv- शयन करने के बाद यहां चौसर खेलते हैं महादेव

punjabkesari.in Thursday, Aug 02, 2018 - 12:39 PM (IST)

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मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर मंदिर स्थापित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यहां का द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की  आस्था का केंद्र है। ओंकारेश्वर की महीमा का उल्लेख पुराणों में संकद, शिवपुराण व वायुपुराण में किया जाता है। माना जाता है कि भक्तगण अलग-अलग तीर्थों से जल लाकर भगवान को अर्पित करते हैं, कहा जाता है कि एेसा करने से सभी तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं। 
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ओंकारेश्वर मंदिर परिसर बहुत बड़ा है, इसकी पांच मंजिला इमारत है। जिसकी प्रथम मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मंदिर है तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है। ओंकारेश्वर में अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिणी व उत्तरी तटों पर मंदिर हैं।
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पौराणिक कथा
कहा जाता है कि इस जगह पर पर्वतराज विंध्य ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए। तभी उन्होंने शंकर जी से प्रार्थना की कि वह विंध्य क्षेत्र में ही स्थिर निवास करें। शिव जी ने उनकी बात को स्वीकार किया और वहीं पर ओंकारलिंग के रुप में स्थापित हुए। 
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मंदिर के पुजारियों का कहना है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एक एेसा ज्योतिर्लिंग है जहां महादेव माता पार्वती के साथ शयन करने आते हैं और चौसर-पांसे भी खेलते हैं। लोग दूर-दूर से यहां भगवान के शयन दर्शनों के लिए आते हैं। हर रोज शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने चौसर-पांसे बिछाए जाते हैं और अगली सुबह जब पुजारी लोग मंगला आरती के लिए कपाट खोलते हैं तो चौसर-पांसे उल्टे मिलते हैं। मंदिर में एक गुप्त आरती की जाती है जहां पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भगृह में नहीं जा सकता। पूरे सालभर ही यहां भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन सावन माह में मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। 
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