शंख स्थापना से होगा घर में लक्ष्मी का वास

punjabkesari.in Monday, Apr 16, 2018 - 05:46 PM (IST)

प्रकृति में पचास हजार से भी अधिक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जिनमें से कुछ खास शंखों का ही विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर जानें उन शंखों के बारे में और ले आएं उन्हें अपने घर।


मध्यावर्ति शंख-यह अद्भुत चमत्कारी शंख मुंह के बीच में खुलता है। यह शंख बहुत ही दुर्लभ है। मध्यावर्ति शंख सभी अभिलाषाएं पूर्ण करता है।


वामावर्ति शंख- इसे बाएं हाथ से पकड़ा जाता है। यह शंख सहज रूप से उपलब्ध नहीं होते। इनकी दुर्लभता एवं चमत्कारिक गुणों के कारण ये अधिक मूल्यवान होते हैं। इसे स्थापित करने से दरिद्रता दूर होती है तथा धन-धान्य में वृद्धि होती है।


मोती शंख-यह शंख मानसिक अशांति दूर करने के लिए उत्तम माना जाता है। इस शंख से गंगाजल का प्रतिदिन आचमन करने से हृदय और श्वास संबंधी रोगों का शमन होता है।


गणेश शंख- यह दुर्लभ और चमत्कारी शंख है। इस शंख की आकृति आदिनाथ प्रथम पूजा भगवान गणपति देव का रूप है। गणेश शंख के दर्शन मात्र से संकट दूर हो जाते हैं और धनोपार्जन में वृद्धि होती है। इसमें जल भरकर प्रतिदिन गर्भवती स्त्री को सेवन  कराने से संतान सदैव सुखमय रहती है। पीलिया जैसी बीमारी में लाभदायक है।


विष्णुशंख- यह श्वेत आभायुक्त शंख प्रकृति द्वारा जटिल रूपाकृति में होता है। इसका स्वरूप भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जैसा प्रतीत होता है। शास्त्रों में इसे ‘चंद्र शंख’ की उपमा दी गई है। इस पवित्र, दिव्य, दुर्लभ चमत्कारी शंख के दर्शन मात्र से समस्त बाधा, दुख दूर होकर मनोकामना पूर्ण होती है।


दुर्लभ देवी शंख- इस शंख को मां आदि शक्ति शक्तिशाली आयुध के रूप में अपने हाथ में धारण किए रहती हैं। जो मनुष्य इस शंख का नौ बार नाद करता है वह दुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर उत्तम फल प्राप्त करता है। इस शंख से पूजा करने पर लक्ष्मी जी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं। देवी शंख को शंख माला से अभिमंत्रित कर आचमन करने पर उसे अतुल धन की वृद्धि और सुख शांति मिलती है।


मणिपुष्पक शंख- इस शंख को महाभारत काल में सहदेव बजाते थे। इसका मुंह पूरा खुला रहता है। मणिपुष्पक शंख से परिवार की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस शंख से जो आचमन करता है उसे हृदय रोग नहीं होता। शरीर स्वस्थ रहता है।


नीलकंठ शंख- समुद्र मंथन से निकले हलाहल को भगवान शिव ने जिस शंख में रख कर पान किया था उसे नीलकंठ शंख कहते हैं। किसी भी प्रकार का विषैला जंतु मनुष्य को काटे तो इस शंख में गंगाजल भर कर पिलाने से जहर उतर जाता है। इस शंख की घरों में स्थापना करने से घर में जहरीले जानवर प्रवेश नहीं करते। इस शंख में काली गाय का दूध भरकर कुछ समय तक सूर्य की किरणों में रखकर पीने से असाध्य रोग नष्ट हो जाते हैं। मानसिक तनाव भी दूर होता है।


अन्नपूर्णा शंख- अन्नपूर्णा शंख अत्यंत बड़ा और भारी होता है। इसकी आकृति बहुत सुंदर तथा दिव्य है। जिस घर में यह स्थापित होता है वह सुंदर और अन्न-धन से भर जाता है।


लक्ष्मी शंख- जो मनुष्य इसे अपने घर में रखता है उसके धनोपार्जन में वृद्धि होती है। वहां लक्ष्मी जी वास करती हैं।


गोमुखी शंख- यह अत्यंत गुणकारी और प्रभावशाली है। जो गोमुखी शंख की पूजा करता है उसे सुख और आरोग्य प्राप्त होता है।


कामधेनु शंख- यह शंख मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। दीर्घायु और यश की प्राप्ति होती है।


देव शंख- देवताओं के पास ही यह शंख विद्यमान है। दुर्लभ देव शंख की जो मनुष्य पूजा करता है वह देवताओं के सन्निकट रहता है।


चक्र शंख- यह भगवान विष्णु के पास सदैव रहता है। इसी शंख से वे असुरों का संहार करते हैं। यह अद्भुत कल्याणकारी और चमत्कारी शंख है।


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Niyati Bhandari

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