ऋषियों ने बनाया ‘हिंदुस्थान’, बड़े गर्व की बात है हिंदू कहलाना

punjabkesari.in Monday, Apr 09, 2018 - 11:00 AM (IST)

भारत जिसे हम हिंदुस्तान, इंडिया, सोने की चिडिय़ा, भारतवर्ष ऐसे ही अनेकानेक नामों से जानते हैं। आदिकाल में विदेशी लोग भारत को उसके उत्तर-पश्चिम में बहने वाली महानदी सिंधु के नाम से जानते थे, जिसे ईरानियों ने हिंदू और यूनानियों ने शब्दों का लोप करके ‘इण्डस’ कहा। भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने ‘हिंदुस्थान’ नाम दिया था जिसका अपभ्रंश हिंदुस्तान है। ‘बृहस्पति आगम’ के अनुसार हिमालयात् समारभ्य यावत् इंदु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते।।


यानी हिमालय से प्रारंभ होकर इंदु सरोवर (हिंद महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिंदुस्थान कहलाता है।


भारत में रहने वाले जिसे आज लोग हिंदू नाम से ही जानते आए हैं। भारतीय समाज, संस्कृति, जाति और राष्ट्र की पहचान के लिए हिंदू शब्द लाखों वर्षों से संसार में प्रयोग किया जा रहा है। विदेशियों ने अपनी उच्चारण सुविधा के लिए ‘सिंधु’ का हिंदू या ‘इण्डस’ से इण्डोस बनाया था किंतु इतने मात्र से हमारे पूर्वजों ने इसे नहीं माना। ‘अद्भुत कोष’, ‘हेमंतकविकोष’, ‘शमकोष’, ‘शब्द-कल्पद्रमु, ‘पारिजात हरण नाटक’, ‘काली का पुराण’ आदि अनेक संस्कृत ग्रंथों में हिंदू शब्द का प्रयोग पाया गया है।


ईसा की सातवीं शताब्दी में भारत में आने वाले चीनी यात्री ह्वेन सांग ने कहा था कि यहां के लोगों को ‘हिंदू’ नाम से पुकारा जाता था। चंदबरदाई के पृथ्वीराज रासो में हिंदू शब्द का प्रयोग हुआ है। पृथ्वीराज चौहान को ‘हिंदू अधिपति’  नाम से संबोधित किया गया है। समर्थ गुरु रामदास ने बड़े अभिमानपूर्वक हिंदू और हिंदुस्तान शब्दों का प्रयोग किया। 


शिवाजी महाराज ने हिंदुत्व की रक्षा की प्रेरणा दी और गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह ने तो हिंदुत्व के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। स्वामी विवेकानंद ने स्वयं को गर्वपूर्वक हिंदू कहा था। हमारे देश के इतिहास में हिंदू कहलाना और हिंदुत्व की रक्षा करना बड़े गर्व और अभिमान की बात समझी जाती थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News