मृत्यु के बाद इसलिए शव को जल्दी जला दिया जाता है, जानें इसकी असल वजह
punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2019 - 05:19 PM (IST)
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अगर जीवन एक सच्चाई है तो मृत्यु उसी जीवन का एक कड़वा सच है। कहने का भाव केवल इतना है कि जो भी धरती पर जन्म लेकर आया है उसे एक न एक दिन मृत्यु का सामना करना ही पड़ता है। फिर चाहे वो इंसान हो या जानवर। अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो कोशिश होती है कि ये उसके शव को जितना जल्दी हो सके जला दिया जाए। परंतु क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों? आखिर क्यों हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति का शव जल्दी जलाने की प्रथा है। अगर आप भी इस बात से अनजान हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है।
हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है गरुड़ पुराण। इसमें किए गए वर्णन के अनुसार जब भी किसी भी गांव या मोहल्ले में किसी की मौत होती है उस व्यक्ति के घर-परिवार के साथ-साथ पूरे मोहल्ले में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है। इसमें मिले उल्लेख के अनुसार जब तक उस मृत व्यक्ति का शव वहां रहता है तब तक पूरे गांव आदि में न पूजा होती है, न कोई शुभ काम संपन्न होता है। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान घर में चूल्हा तक नहीं जलता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों की मानें तो मृत व्यक्ति के शव की देख-रेख करना बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि अगर इस दौरान शव को कोई जानवर छू लेता है उसकी दुर्गति हो जाती है।
कहा जाता है कि मृत व्यक्ति का सही समय और सही विधि से किया गया अंतिम संस्कार मृत व्यक्ति के लिए भी और उसके परिवार वालों, दोनों के लिए फायदेमंद होता है। कहते हैं कि अगर अंतिम संस्कार सही तरीके से किया जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इसके साथ ही पिंडदान करने से देवता खुश हो जाते हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि जब किसी व्यक्ति को जलाया जाता है तो उसके हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए कि कोई भी पिशाच उस शरीर पर कब्जा न कर पाए।
ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम संस्कार के समय चंदन और तुलसी की लकड़ियों का इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए। क्योंकि हिंदू धर्म में इन लकड़ियां को शुभ माना गया है, और ये मृत व्यक्ति के शव को किसी भी जीवात्मा की दुर्गति होने से उन्हें बचाती हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू धर्म में इंसान की मृत्यु से लेकर 16 संस्कार बताए गए हैं ये सभी संस्कार आखिरी तक चलते हैं। 16 संस्कार में मृत व्यक्ति की आखिरी विदाई में घर की पुनः अशुद्धि से लेकर सारे क्रियाकलाप शामिल किए जाते हैं और गरुड़ पुराण में बताए गए सभी नियमों का पालन किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है।
वैसे तो लगभग सभी जानते होंगे लेकिन फिर भी बता दें कि सूर्यास्त के बाद कभी भी मृत व्यक्ति के शरीर को जलाना नहीं चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि अगर सूर्यास्त के बाद किसी के शरीर को जलाया जाए तो उसकी आत्मा को परलोक में शांति नहीं निलती, वो किसी न किसी तकलीफ में रहती है। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि अगले जन्म में व्यक्ति के शरीर किसी न किसी अंग में शारीरिक दोष उत्पन्न होता है।
बता दें कि गरुड़ पुराण में अंतिम संस्कार से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात विख्यात हैं जिन्हें अपनाना चाहिए। जैसे शव जलाते समय किस दिशा में होना चाहिए,कब अस्थि संचय करना है आदि।
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