आखिर क्यों है बरसाना की लट्ठमार होली इतनी खास ?

punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2019 - 03:26 PM (IST)

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हिंदू धर्म में होली का त्यौहार बड़ा ही खास होता है और इस बार ये त्यौहार 21 मार्च 2019 को मनाया जाएगा। हर जगह इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन वृंदावन, ब्रज और बरसाने की होली देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यहां होली का पर्व कई दिनों पहले से ही मनाना शुरू हो जाता है। आज बरसाना में लट्ठमार होली मनाई जाएगी। यहां की होली देखने के लिए देश-विदेश से कई लोग आते हैं। तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मनाई जाती है लट्ठमार होली। 
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वैसे तो ब्रज में होली का पर्व डेढ़ माह से भी लंबे समय तक मनाया जाता है। यहां हर तीर्थस्थल की अपनी अलग परंपरा होती है और होली मनाने के तरीके भी एक-दूसरे से बहुत अलग हैं जिनमें बरसाना और नन्दगांव की लट्ठमार होली बिल्कुल ही अलग है। पूरे विश्व में बरसाना की लट्ठमार होली बहुत प्रसिद्ध है। यहां लोग रंगों, फूलों के अलावा डंडों से होली खेलने की परंपरा निभाते है।
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ऐसी परंपरा है कि फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए बरसाना गांव जाते हैं। जहां पर लड़कियों और महिलाओं के संग लट्ठमार होली खेली जाती है। इसके बाद फाल्गुन शुक्ल की दशमी तिथि पर रंगों की होली खेली होती है। कहते हैं कि ये परंपरा भगवान कृष्ण के समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना जाते हैं। बरसाना पहुंचकर वे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलते हैं। इस दौरान कृष्ण जी राधा रानी के संग ठिठोली करते है जिसके बाद वहां की सारी गोपियां उन पर डंडे बरसाती है। गोपियों के डंडे की मार से बचने के लिए नंदगांव के ग्वाले लाठी और ढ़ालों का सहारा लेते हैं। यही परंपरा उस समय से चली आ रही है और जिसका आज भी पालन किया जा रहा है। वहां पुरुषों को हुरियारे और महिलाओं को हुरियारन कहा जाता है। 
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