ब्रह्मा के कटे सिर और भगवान शिव का क्या है रहस्य ?

punjabkesari.in Wednesday, Mar 13, 2019 - 02:32 PM (IST)

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हिंदू धर्म में भगवान शिव के अवतारों को लेकर काफी चर्चा रही है कि इन्होंने ने कौन सा अवतार कब लिया और क्यों लिया। इनके हर अवतार के पीछे कोई न कोई कारण रहा है। आज हम आपको शंकर जी के अवतारों से जुड़ी एक ऐसी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें भगवान बारह साल तक ब्रह्मा के कटे सिर के साथ रहे थे। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा के बारे में जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों ने सुना होगा। 
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शास्त्रों में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती के रूप में माता पार्वती ने अपना देह त्यागा था, तब क्रोध में आकर शिव ने अपने सिर का एक बाल तोड़ा, जिसमें से वीरभद्र और काली की उत्पत्ति हुई। कहते हैं वीरभद्र, शिव का सबसे खौफनाक और भयभीत कर देने वाला स्वरूप था। लाल आंखें और काले स्वरूप वाले वीरभद्र के गले में इंसानी खोपड़ियों वाली माला भी थी। राजा दक्ष की वजह से ही यज्ञ में देवी सती ने अपने प्राण त्यागे थे और इसी वजह से वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट डाला था।
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एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था। तब भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी। लेकिन जब इस परीक्षा में ब्रह्मा ने झूठ का सहारा लिया तब क्रोध में आकर भगवान शिव ने भैरव अवतार लेकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था। लेकिन ऐसा कर शिव के सिर पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया और जिसका पश्चाताप करने के लिए शिव ने करीब 12 सालों तक ब्रह्मा का कटा सिर थामकर भीक्षा मांगकर जीवन व्यतीत किया। ऐसा माना जाता है कि इसी स्वरूप में शिव सभी शक्तिपीठों की रखवाली करते थे। 
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सागर मंथन के दौरान जब शिव ने क्षीर सागर से निकला विष का प्याला पी लिया था, तब विष के प्रभाव के कारण उनका गला जलने लगा। ऐसे में शिव के भीतर से विष पुरुष ने जन्म लिया और शिव ने उसे वरदान दिया कि वे द्रोण के पुत्र के रूप में धरती पर अवतार लेकर अशक्त क्षत्रियों की हत्या करेगा। कहते हैं कि अश्वत्थामा शिव के इसी अवतार का नाम है।
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पौराणिक मतानुसार शिव जी ने ब्रह्माण्ड में अनुशासन बनाए रखने के लिए दुर्वासा के रूप में अवतार लिया था। भगवान विष्णु ने धरती पर भगवान राम के रूप में अवतार लिया और इनकी सेवा करने के लिए उन्होंने खुद हनुमान के रूप में अवतार लिया था।
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