PAK को भारत से नहीं...इनसे है खतरा

punjabkesari.in Sunday, May 01, 2016 - 12:38 PM (IST)

नई दिल्ली: पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा भारत से नहीं बल्कि अपने आंतरिक संघर्षों से होने को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक में कहा गया है कि आंतरिक और बाहरी ताकतों से निपटने में पाकिस्तान की ‘‘लचर’’ नीति के कारण वहां की स्थिति और जटिल बन गई है। लेखक क्रिस्टोफे जैफरेलॉट की पुस्तक ‘‘पाकिस्तान एेट द क्रॉसरोड्स’’ में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों ने पाकिस्तान की राजनीति, अर्थव्यवस्था और वहां के नेताआें और सैन्य शासकों समेत घरेलू और रणनीतिक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियों का मूल्यांकन किया है।

इसमें कहा गया है कि बलूचिस्तान और कराची के नस्ली संघर्षों के अलावा अफगानिस्तान में अमेरिका की अगुवाई में सैन्य दखल की प्रतिक्रिया के रूप में पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी हिंसा और पाकिस्तान के संघीय प्रशासित आदिवासी क्षेत्रों में ड्रोन से होने वाले हमले अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गए हैं। पुस्तक के अनुसार, अब पाकिस्तान के नेताआें में यह धारणा बन रही है कि पाकिस्तान की सुरक्षा को असली खतरा भारत से नहीं, बल्कि वहां होने वाले आंतरिक संघर्षों से है।

हालांकि यह एहसास पाकिस्तान सेना को अपने सबसे बड़े पड़ोसी देश को निशाना बनाने से रोक पाने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है।  किताब में आतंरिक और बाहरी ताकतों से निपटने में पाकिस्तान की ‘‘लचर’’ नीति की आलोचना की गई है जहां के आंतरिक, बाहरी संघर्षो ने ही मौजूदा हालात को और जटिल बना दिया है।
 

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के संदर्भ में पुस्तक में कहा गया है कि जवाहर लाल नेहरू और चाउएन लाई के संबंध शुरुआत में काफी गर्माहट भरे थे और इसी दौर में पाकिस्तान ने चीन के साथ करीबी बढ़ानी शुरू की थी। इस दौरान पाकिस्तान के प्रति चीन का रूख भी झुकवा वाला ही रहा। राजनीतिक स्तर पर चीन और पाकिस्तान की करीबी बढ़ी और यह कोरियाई युद्ध के समय पाकिस्तान के रूख से भी स्पष्ट होता है। इस दौर में 60 के दशक के शुरुआत में पाकिस्तान और चीन ने एक दूसरे को ‘तरजीही राष्ट्र का दर्जा प्रदान किया।


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