अब ट्रैफिक चालान भरने के लिए नहीं जाना पड़ेगा कोर्ट, ऑन द स्पॉट कर सकेंगे पेमेंट

punjabkesari.in Sunday, Mar 15, 2020 - 03:52 PM (IST)

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक चालान का अब ऑन द स्पॉट भुगतान किया जा सकेगा। अब कोर्ट जाने से निजात मिलेगी। मोटर वाहन अधिनियम 2019 (संशोधित) में मौके पर चालान को उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद शुक्रवार को दिल्ली परिवहन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।

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दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और दिल्ली परिवहन विभाग अभी तक कोर्ट का चालान काट रहे थे। ट्रैफिक पुलिस के जगह-जगह सड़कों पर लगे कैमरों से भी चालान नहीं हो पा रहे थे जो कि अब हो सकेंगे। ट्रैफिक पुलिस की ऑनलाइन प्रणाली में लोग केवल उसी सूरत में जुर्माना जमा करवा पा रहे थे, जब वाहन या कोई दस्तावेज जब्त होता था। अन्यथा, कोर्ट के जरिए ही चालान जमा करना पड़ रहा था।  

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हवलदार या उसके ऊपर के अधिकारी को जिम्मा
नई अधिसूचना के हिसाब से परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के हवलदार या उसके ऊपर के अधिकारी जुर्माना कर सकेंगे। सेक्शन 177 में 500 रुपए व दूसरी बार में 1500 रुपए का जुर्माना, बिना सीट बेल्ट का 1000 रुपए और बिना इंश्योरेंस के वाहन चलाने पर 2000 रुपए व 4000 रुपए का जुर्माना कर सकेंगे।

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किस उल्लंघन पर कितना जुर्माना

नियम जुर्माना 
खराब नंबर प्लेट 500
बिना साइलेंसर 1000
आदेश उल्लंघन 2000
स्टॉप लाइन उल्लंघन 5000 (कोर्ट)
रेसिंग 5000
अतिरिक्त यात्री बैठाना 200 रुपए प्रति यात्री
ओवरस्पीड (एलएमवी) 2000
ओवरस्पीड (मीडियम, हैवी) 4000
बिना आरसी 5000
बिना डीएल 5000
मोडिफाई व्हीकल 5000
खतरनाक ड्राइविंग 5000
निलंबित लाइसेंस से वाहन चलाना 10,000
ओवरलोड वाहन 20,000

यह संशोधन किया था 
पहले जो ट्रैफिक चालान धारा 177 (खराब नंबर प्लेट, अतिरिक्त यात्री बैठाना आदि) में 100 रुपए के किए जाते थे, 1 सितंबर 2019 से लागू नए नियमों में कई गुना कर दिए गए। अब पहली बार में 500 और दूसरी बार में 1500 रुपए के चालान का प्रावधान है। यही नहीं, प्रदूषण प्रमाणपत्र (पीयूसी) नहीं होने पर 10 हजार रुपए, वाहन इंश्योरेंस नहीं होने पर पहली बार में दो हजार रुपए और दूसरी बार में 4000 रुपए है। वहीं, बिना हेलमेट वाहन चलाना, बिना सीट बेल्ट बांधे वाहन चलाने या दोपहिया पर ट्रिपल राइडिंग को अलग सेक्शन में रखकर इनका जुर्माना 1000 रुपए किया गया है। अभी तक चालान कोर्ट का होने की वजह से कागजी काम अधिक करना पड़ता था। इस कारण चालान की संख्या में भी पचास फीसदी से अधिक की कमी देखी गई थी। 
  


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jyoti choudhary

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