अब US विशेषज्ञ फरीद ने भी चेताया- ट्रंप ने भारत से पंगा लेकर भूल की, पछताना पड़ेगा
punjabkesari.in Monday, Aug 18, 2025 - 02:46 PM (IST)

Washington: भारत और अमेरिका के रिश्तों में आई खटास पर भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार और जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों ने दोनों देशों के बीच दशकों की मेहनत पर पानी फेर दिया है और यह ट्रंप प्रशासन की अब तक की सबसे बड़ी रणनीतिक गलती साबित हो सकती है।अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया। रूस से तेल खरीद पर भारत को निशाना बनाया गया। भारत ने सख्त लहजे में साफ कहा-“हम किसी दबाव में फैसले नहीं लेंगे।”
जकारिया के अनुसार, ट्रंप की इस अचानक पनपी शत्रुता ने भारत-अमेरिका दोस्ती को अपूरणीय क्षति पहुँचाई है। सीएनएन पर अपने विश्लेषण में जकारिया ने कहा- “भारतीयों को लगने लगा है कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वह अपने दोस्तों के साथ भी बर्बर व्यवहार कर सकता है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस नीति से भारत मजबूर होगा कि वह रूस के और करीब जाए और यहाँ तक कि चीन के साथ भी रिश्ते सुधार ले। जकारिया ने कहा कि भारत का गुटनिरपेक्ष रहने का इतिहास रहा है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने मल्टी-अलाइनमेंट नीति अपनाई। अमेरिका की रणनीति और चीन का उदय, दोनों ने भारत को धीरे-धीरे अमेरिका की ओर झुकाया था। “लेकिन अब सारा खेल बदल गया है। अगर ट्रंप प्रशासन अपना रुख बदल भी ले तो भी नुकसान हो चुका है।”
पहले की मेहनत पर पानी
- जकारिया ने ट्रंप से पहले के पाँच राष्ट्रपतियों की नीतियों को याद दिलाया ।
- बिल क्लिंटन (2000): भारत यात्रा से रिश्तों में नई शुरुआत।
- जॉर्ज डब्ल्यू. बुश: भारत को महाशक्ति की तरह ट्रीट किया, रिश्ते गहरे हुए।
- बराक ओबामा: भारत को एशिया नीति की धुरी बनाया, UNSC स्थायी सदस्यता का समर्थन।
- ट्रंप 1.0: मोदी से निजी रिश्ते मजबूत किए, क्वाड को आगे बढ़ाया।
- जो बाइडेन: डिफेंस और इकोनॉमी में सहयोग बढ़ाया।
लेकिन ट्रंप 2.0 में आते ही हालात उलट गए। भारत को सबसे ऊँचे टैरिफ वाले देशों में डाल दिया गया, जबकि पाकिस्तान पर सिर्फ 19% टैरिफ लगाया और उसके साथ ऊर्जा प्रोजेक्ट्स और सैन्य सहयोग की राह पकड़ी। जकारिया का निष्कर्ष साफ है- ट्रंप प्रशासन की नीतियों ने भारत-अमेरिका रिश्तों को सबसे गहरी चोट पहुँचाई है और आने वाले वक्त में इसे सुधारना बेहद कठिन होगा।