अपनी ही सरकार पर भड़के यशवंत सिन्हा, बोले-मोदी ने गरीबी देखी, जेटली दिखा रहे

punjabkesari.in Wednesday, Sep 27, 2017 - 09:55 AM (IST)

नई दिल्लीः भाजपा के दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने लगातार गिर रही जीडीपी और चरमरा रही अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी ही सरकार को आड़े हाथों लिया। सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीबी से देखा है लेकिन ऐसा लगता है कि उनके वित्तमंत्री इस तरह का काम कर रहे हैं कि वे सभी भारतीयों को गरीबी काफी पास से दिखाएं।

सिन्हा ने कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी में आग में तेल डालने की तरह काम किया है। सिन्हा ने कहा कि आज के समय में न ही नौकरी मिल रही है और न विकास तेज हो रहा है। जीएसटी को ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण नौकरी और व्यापार पर काफी फर्क पड़ा है। उन्होंने लिखा कि मैंने वित्त मंत्रालय संभाला है मुझे पता है ये आसान काम नहीं है। यह एक 24 घंटे का काम है जिसे जेटली जैसे सुपरमैन भी पूरा नहीं कर सकते हैं। सिन्हा ने कहा कि जीडीपी अभी 5.7 है, सभी को याद रखना चाहिए कि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने के तरीके को बदला था। अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखें तो आज के समय में 3.7 जीडीपी होती।
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कश्मीर पर बातचीत शुरू करे सरकार
सिन्हा की अगुवाई में प्रबुद्ध जनों के एक समूह ने केंद्र सरकार से कहा कि वह राज्य के हितधारकों के साथ कश्मीर पर वार्ता शुरू करे और इसके लिए ‘‘समयसीमा’’ तय करे।   एक बयान जारी कर ‘कनसर्न्ड सिटिजंस ग्रुप’ (सीसीजी) ने कहा कि उसने कश्मीर के नागरिकों को लेकर नीति में सकारात्मक बदलाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा नेतृत्व के बयानों को बड़ी उम्मीद से देखा है। सीसीजी ने एक बयान में कहा कि अच्छी मंशा वाले बयानों के बाद हम सुझाव देंगे कि इसे अमलीजामा भी पहनाया जाए।

सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह स्पष्ट तौर पर हितधारकों की पहचान करे, अधिकृत वार्ताकार का नाम घोषित करे, वार्ता प्रक्रिया की शुरुआत और संचालन के लिए समयसीमा तय करे और इसे जल्द से जल्द शुरू करे।   इस बयान पर सिन्हा के अलावा अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, पूर्व विदेश सचिव निरूपमा राव, लेखक रामचंद्र गुहा, वरिष्ठ पत्रकार भारत भूषण सहित कई अन्य के दस्तखत हैं।


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