दुनिया में ‘कम हुए परमाणु हथियार, लेकिन परमाणु संघर्ष का खतरा बढ़ाः SIPRI

punjabkesari.in Monday, Jun 17, 2019 - 05:35 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान (SIPRI ) ने कहा है कि बीते 12 माह में वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आई है, लेकिन परमाणु संघर्ष के खतरे में वृद्धि हुई है। संस्थान में वरिष्ठ फेलो हंस एम क्रिस्टेनसेन का कहना है कि दुनिया में पिछले वर्ष परमाणु हथियारों की संख्या में बेशक कमी आई है लेकिन देश अब अपने हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ये हथियारों की एक नई तरह की दौड़ है, ये उनकी संख्या को लेकर नहीं है बल्कि उनकी तकनीकी के बारे में है।

 SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 2019 की शुरुआत में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया आदि नौ देशों के पास जनवरी की शुरुआत में कुल 13,865 परमाणु हथियार मौजूद थे जबकि एक साल पहले तक इनकी संख्या 14,465 थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने की होड़ का स्थान उनकी गुणवत्ता और आधुनिकता ने ले ली है। अब परमाणु संपन्न देश अपने हथियारों को आधुनिक बनाने के लिए प्रयासरत हैं। क्रिस्टेंसेन कहते हैं, “अब हम परमाणु हथियार संचय की पारंपरिक रणनीति के दौर में नहीं हैं। अब एक सामरिक युद्ध की शुरुआत हो चुकी है।”

वे कहते हैं कि परमाणु संपन्न देश अब तकनीकी को बेहतर करने की जुगत में हैं। उनका कहना है कि अब रूस जहां अमेरिका की एंटी-मिसाइल तकनीकी को धोखा देने वाली मिसाइल बनाने के प्रयास में है वहीं अमेरिका रूस का मुकाबला करने के लिए कम दूरी पर मार करने वाले परमाणु हथियार विकसित करने में लगा हुआ है। क्रिस्टेंसेन ने इसकी तुलना शीत युद्ध से करते हुए कहा कि इस तरह की होड़ हम पहले भी देख चुके है। उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि ये पहले की तरह खतरनाक नहीं है। सिपरी परमाणु हथियार नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक शैनन काइल ने बताया, ‘‘दुनिया कम लेकिन नए हथियार रखना चाहती है।''

हाल के वर्षों में परमाणु हथियारों में कमी का श्रेय मुख्यत: अमेरिका और रूस को दिया जा सकता है जिनके पास कुल हथियार दुनिया के परमाणु हथियारों का 90 फीसदी से अधिक हैं। यह अमेरिका और रूस के बीच 2010 में नई ‘स्टार्ट' संधि के कारण संभव हो पाया है जिसके तहत तैनात हथियारों की संख्या सीमित रखने का प्रावधान है। साथ ही इसमें शीत युद्ध के समय के पुराने हथियारों को खत्म करने का भी प्रावधान है। बहरहाल, स्टार्ट संधि 2021 में समाप्त होने वाली है और काइल के मुताबिक यह चिंताजनक बात हैं क्योंकि वर्तमान में ‘‘इसे विस्तारित करने के लिए कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है।''

 


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Tanuja

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