अपना सैनेट्री पैड दिखाओ! सुपरवाइजर की शर्मनाक हरकत- मासिक धर्म के बारे में सबूत मांगा तो SC ने लगाई फटकार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 04:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने देश की शीर्ष अदालत में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की है। इस याचिका में यह आग्रह किया गया है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं और लड़कियों के मासिक धर्म (Menstruation) के दौरान उनके स्वास्थ्य, सम्मान और निजता (Privacy) के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश (Guidelines) बनाए जाएं। यह याचिका हरियाणा की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) में सामने आए एक चौंकाने वाले मामले के बाद दाखिल की गई है। रिपोर्टों के अनुसार यूनिवर्सिटी में कुछ महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म होने का फोटोग्राफिक सबूत देने के लिए कहा गया था।

हरियाणा यूनिवर्सिटी का शर्मनाक मामला

SCBA ने अपनी याचिका में बताया कि यह घटना 26 अक्टूबर को हुई जब हरियाणा के राज्यपाल यूनिवर्सिटी का दौरा करने वाले थे। इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए रविवार के दिन तीन महिला सफाई कर्मचारियों को काम पर बुलाया गया था। महिला कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि जब सुपरवाइजर उन्हें जल्दी-जल्दी काम खत्म करने को कह रहे थे तो उन्होंने अपनी खराब तबीयत और मासिक धर्म से होने की बात बताई। इस पर सुपरवाइजर ने कथित तौर पर उनसे इसका सबूत मांगा।

महिला कर्मचारियों ने अपनी लिखित शिकायत में बताया कि सुपरवाइजर ने उन्हें सैनिटरी पैड का फोटो भेजने को कहा। इतना ही नहीं जब तक उन्होंने फोटोग्राफ नहीं दिए तब तक उनके साथ बदतमीजी की गई, उन्हें अपशब्द कहे गए और उनका मानसिक उत्पीड़न (Harassment) किया गया।

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अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले

SCBA ने स्पष्ट किया कि यह कोई अकेला मामला नहीं है। याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसमें महाराष्ट्र के एक निजी स्कूल में ऐसी ही घटना का जिक्र था। वहां 5वीं से 10वीं कक्षा की छात्राओं को एक हॉल में बुलाया गया और प्रोजेक्टर पर टॉयलेट में लगे ब्लड स्टेन (Blood Stain) की तस्वीरें दिखाई गईं। इसके बाद छात्राओं को टॉयलेट में ले जाकर जांचा गया कि वे मासिक धर्म से हैं या नहीं।

संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

SCBA ने इन घटनाओं को संविधान के अनुच्छेद 21 (Article 21) का गंभीर उल्लंघन बताया जो देश के हर नागरिक को जीवन का अधिकार (Right to Life) प्रदान करता है। याचिका में जोर देकर कहा गया है कि सभी महिला कर्मचारियों को विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों को मासिक धर्म के दौरान दर्द या बीमारी होने पर अपमानजनक जांच का सामना न करना पड़े इसके लिए सभ्य कार्य स्थितियों का अधिकार मिलना चाहिए।

SCBA ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दे।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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