देवभूमि हिमाचल में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं

Friday, Apr 27, 2018 - 02:17 AM (IST)

नेशनल डेस्कः देवभूमि हिमाचल प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। अन्य राज्यों की तरह महिलाओं के साथ घरेलू ङ्क्षहसा, बलात्कार, हत्या व छेड़छाड़ जैसी घटनाएं यहां भी बढ़ रही हैं। भले ही महिलाओं के सम्मान और उन्हें आगे बढऩे के अवसर उपलब्ध करवाने के दावे राजनेताओं द्वारा किए जाते रहे हों लेकिन अब देवभूमि में भी महिलाएं महफूज नहीं हैं। इस वर्ष में अब तक बलात्कार के 80 मामले सामने आ चुके हैं, जिससे देवभूमि शर्मसार हुई है। वहीं पुलिस पर से राज्य के लोगों का भरोसा भी कम होने लगा है, जिसका प्रमुख कारण गुडिय़ा मामला रहा है, जिसकी जांच को पुलिस ने खुद गलत दिशा दी और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया था।

पूरे देश को दहलाने वाले गुडिय़ा रेप व मर्डर केस को काफी मशक्कत के बाद सी.बी.आई. ने सुलझा लिया है। घटना के 9 माह बाद अपराधी को साइंटिफिक एवीडैंस के आधार पर पकड़ लिया गया है। यह सब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कारण ही संभव हो सका है, क्योंकि इस मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर सी.बी.आई. को यह जांच सौंपी थी और विगत 9 माह में समय-समय पर केस की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है लेकिन अब इस मामले में दोषी पाए गए एक चिरानी को लेकर खुद गुडिय़ा के परिजनों सहित गुडिय़ा न्याय मंच और मदद ट्रस्ट ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि पुलिस ने गत वर्ष हुई इस घटना के तुरंत बाद तेजी से फैले जनाक्रोश को शांत करने के लिए मामले को मात्र 55 घंटों में ही सुलझा लिया था।

सीबीआई जांच से बंधी न्याय की उम्मीद
गुडिय़ा से गैंगरेप और उसकी हत्या करने के जुर्म में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। उसके बाद इस आरोप में लॉकअप में बंद सूरज की हत्या का आरोप राजू पर लगा दिया था जबकि सूरज की मौत पुलिस द्वारा दी गई यातनाओं से हुई थी। तब भी लोगों का मानना था कि पुलिस की जांच किसी दबाव में चल रही है और ऊंचे रसूख वाले लोगों का इस गैंगरेप और हत्या से कोई न कोई वास्ता जरूर है। इसी बीच हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने यह मामला सी.बी.आई. को सौंप दिया। तब जाकर लोगों का रोष थोड़ा कम हुआ और उन्हें सी.बी.आई. की जांच से न्याय की उम्मीद मिली।

परन्तु अब सी.बी.आई. ने काफी मेहनत के बाद जब अपराधी को पकड़ा है तो भी लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल फिर खड़े हो गए हैं। हालांकि सी.बी.आई. की जांच अभी खत्म नहीं हुई है और वह 3 माह के भीतर अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करेगी। इस बीच केस में नए पहलु भी जुड़ सकते हैं। परन्तु गुडिय़ा के परिजनों के सवालों का वाजिब जवाब मिलना भी आवश्यक है। 16 वर्षीय गुडिय़ा 4 जुलाई, 2017 को स्कूल से लौटते हुए लापता हो गई थी। गुडिय़ा को ढूंढने में उसके परिजनों और गांव वालों ने काफी प्रयास किए और हर जगह उसके बारे में पूछताछ की। तीसरे दिन 6 जुलाई को गुडिय़ा का निर्वस्त्र शव दांदी के जंगल में मिला। जो सवाल खड़े हुए हैं वे ये हैं कि आखिर अढ़ाई दिन तक गुडिय़ा कहां थी और जिस हालत में उसका शव मिला है क्या एक अकेला अपराधी उसके शव को ऐसी हालत में पहुंचा सकता है?

राज्य पुलिस से उठा लोगों का भरोसा
इससे पहले राज्य पुलिस ने अपनी जांच में इसे गैंगरेप का मामला बताते हुए 55 घंटे दिन-रात जांच कर साइंटिफिक एवीडैंस के आधार पर वहां के बगीचों आदि में काम करने वाले 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। तब भी परिजनों और लोगों ने शंका जताई थी कि कोई प्रभावशाली इस जांच को प्रभावित कर रहा है। हालांकि बाद में सी.बी.आई. ने सूरज लॉकअप हत्याकांड में आई.जी., एस.पी., डी.एस.पी. सहित कुल 9 पुलिस वालों को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है, मगर इस केस से जुड़े सवालों के जवाब लोगों को फिलहाल नहीं मिल रहे हैं। पहले ही राज्य पुलिस से लोगों का भरोसा उठ चुका है और अब इस सुलझ चुके केस को लेकर भी जनता की निगाहों में शंका दिख रही है।

कुछेक छोटे-मोटे विवादों को छोड़ दें तो हिमाचल प्रदेश पुलिस का इतिहास स्वच्छ छवि वाला रहा है लेकिन पूर्व कांग्रेस शासन में गुडिय़ा मामले में पुलिस को सरकार का भी अनावश्यक दबाव झेलना पड़ा है क्योंकि चुनावी वर्ष में तत्कालीन कांग्रेस सरकार इस मामले में जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी चाहती थी, जिसके लिए आई.जी. (दक्षिण) के नेतृत्व में एस.आई.टी. का गठन किया गया था परन्तु हिमाचल पुलिस इस मामले को सुलझाने के लिए 6 निर्दोष लोगों को जेल में डाल देगी, ऐसा शायद तब कांग्रेस की सरकार ने भी नहीं सोचा था।

हिमाचल पुलिस की छवि हुई दागदार
यही नहीं, सूरज को गंभीर यातनाएं देकर उसे मौत के मुंह में पहुंचा दिया गया। सूरज की हत्या का इल्जाम राजू पर लगा दिया गया। सी.बी.आई. ने भी इस ब्लाइंड केस को सुलझाने में पहले सूरज हत्याकांड में साजिश आदि रचने में शामिल सभी पुलिस वालों पर ही हाथ डाला। पूरे देश में यह पहला मामला था जब आई.जी. से लेकर हैड कांस्टेबल तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इससे हिमाचल पुलिस की छवि दागदार हुई है। यही कारण है कि एक बार गलत जांच की तरफ बढ़े गुडिय़ा केस में अब भले ही सी.बी.आई. अपराधी को जुर्म कबूल करवा चुकी है लेकिन केस से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में खड़़े होते जा रहे हैं। - डा. राजीव पत्थरिया

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