महिला ने 300 लीटर Breast Milk किया दान, हजारों बच्चों को दिया जीवनदान, बनाया विश्व रिकॉर्ड
punjabkesari.in Saturday, Aug 09, 2025 - 06:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: तमिलनाडु के त्रिची जिले की रहने वाली सेल्वा ब्रिंधा ने एक ऐसा काम किया है, जो न सिर्फ इंसानियत की मिसाल है बल्कि देश भर की माताओं के लिए प्रेरणा भी बन गया है। ब्रिंधा ने 22 महीनों में 300.17 लीटर मां का दूध (ब्रेस्ट मिल्क) दान कर एक नई मिसाल कायम की है। उनके इस योगदान को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है।
कौन हैं ब्रिंधा?
33 वर्षीय सेल्वा ब्रिंधा एक सामान्य गृहिणी हैं और दो बच्चों की मां हैं। वह तमिलनाडु के त्रिची जिले के एक छोटे से कस्बे में रहती हैं। उन्होंने अप्रैल 2023 में मदुरै के सरकारी अस्पताल MGMGH में स्थापित ह्यूमन मिल्क बैंक से जुड़कर इस नेक काम की शुरुआत की।
कैसे शुरू हुआ यह सफर?
ब्रिंधा की बेटी जब बीमार पड़ी तो उसे NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में भर्ती कराया गया। वहां उन्होंने देखा कि कई नवजात बच्चों को मां के दूध की सख्त जरूरत होती है। उस दौरान, ब्रिंधा के शरीर में जरूरत से ज्यादा दूध बनने लगा। उन्होंने इसे फेंकने की बजाय दूध बैंक को दान देना शुरू किया। धीरे-धीरे यह आदत बन गई और उन्होंने नियमित रूप से दूध दान करना जारी रखा।
एक मिसाल बनीं ब्रिंधा
2023 और 2024 के बीच जितना दूध मदुरै के मिल्क बैंक को मिला, उसका लगभग आधा ब्रिंधा ने अकेले दिया। उन्होंने न केवल समय से पहले जन्मे बच्चों को नया जीवन दिया बल्कि कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे नवजातों की भी मदद की।
समाज की सोच से लड़ीं ब्रिंधा
इस नेक काम को करते हुए ब्रिंधा को समाज की बदनामी, अफवाहों और अंधविश्वास का सामना भी करना पड़ा। कई लोगों ने उन्हें समझाया कि इससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा या वजन कम हो जाएगा। लेकिन ब्रिंधा ने हार नहीं मानी। वह कहती हैं, “शुरुआत में वजन जरूर कम हुआ, लेकिन डॉक्टर ने समझाया कि दूध पंप करने से कैलोरी बर्न होती है। मैंने यह काम दिल से करना जारी रखा।
‘दान छोटा या बड़ा नहीं होता’: ब्रिंधा
ब्रिंधा मानती हैं कि दान कभी छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि भावनाएं मायने रखती हैं। उन्होंने बताया, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मैं कितना दूध दे रही हूं, मुझे इस बात की खुशी है कि मैं किसी की मदद कर पा रही हूं।”
ब्रिंधा को किया गया सम्मानित
7 अगस्त को विश्व ब्रेस्टफीडिंग वीक के समापन अवसर पर ब्रिंधा को उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस मौके पर डॉक्टर पद्मप्रिया, जिन्होंने ब्रिंधा को प्रेरित किया, कहती हैं, “उन्होंने सैकड़ों बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाया है। उनका समर्पण वाकई सराहनीय है।”