withdraw money rules: अंगूठा लगाकर पैसे निकालने को लेकर RBI ने बैंकों को दिए सख्त निर्देश,  नए नियम 1 जनवरी 2026 से लागू

punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 02:34 PM (IST)

नई दिल्ली: डिजिटल बैंकिंग के युग में जहां आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AEPS) ने ग्रामीण और तकनीकी रूप से पिछड़े इलाकों में लोगों को बैंकिंग से जोड़ा है, वहीं इसके जरिए फर्जीवाड़े और पहचान की चोरी के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए AEPS सेवा प्रदाताओं और टचपॉइंट ऑपरेटर्स (ATO) से जुड़ी प्रक्रिया को ज्यादा सख्त और पारदर्शी बनाने के लिए बैंकों को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नए नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे, और इनका मकसद ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाना और सिस्टम में भरोसा कायम रखना है।

 बैंकों को ATO की पहले से करनी होगी सख्त जांच
आरबीआई के मुताबिक, अब कोई भी बैंक यदि AEPS सेवा के लिए किसी टचपॉइंट ऑपरेटर (ATO) को अपने नेटवर्क में जोड़ना चाहता है, तो उससे पहले उसे उस ऑपरेटर की केवाईसी वेरिफिकेशन और बैकग्राउंड चेकिंग करनी होगी। यह प्रक्रिया वैसी ही होगी जैसी किसी नए ग्राहक को जोड़ते समय की जाती है।

हालांकि, यदि ATO पहले से बैंक का बिजनेस सब-एजेंट रह चुका है और उसकी जांच पहले ही हो चुकी है, तो उसे दोबारा जांचने की जरूरत नहीं होगी। यह नियम उन बैंकों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह होगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में AEPS सेवाओं का तेजी से विस्तार कर रहे हैं।

 तीन महीने की निष्क्रियता पर दोबारा केवाईसी अनिवार्य
नए नियमों के तहत, अगर कोई ATO लगातार तीन महीने तक एक्टिव नहीं रहता, यानी किसी तरह का लेन-देन नहीं करता, तो उसे फिर से AEPS टचपॉइंट के तौर पर काम शुरू करने से पहले दोबारा KYC प्रोसेस से गुजरना होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी स्लीपिंग एजेंट सिस्टम में घुसपैठ कर फर्जी ट्रांजैक्शन न कर सके।

 AEPS फ्रॉड के बढ़ते मामलों से RBI चिंतित
RBI ने अपनी अधिसूचना में बताया कि हाल के महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां ग्राहकों की पहचान चुरा कर या उनके आधार डेटा का दुरुपयोग कर AEPS के जरिए धोखाधड़ी की गई।

इन घटनाओं ने सिस्टम की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई अब AEPS सिस्टम की मजबूती पर जोर दे रहा है, ताकि ग्राहकों का विश्वास बना रहे और डिजिटल बैंकिंग एक सुरक्षित माध्यम बना रहे।

कानूनी प्रावधानों के तहत जारी हुए निर्देश
यह सख्त दिशानिर्देश "पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट, 2007" की धारा 10(2) और 18 के तहत जारी किए गए हैं। आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि AEPS सिस्टम में शामिल ऑपरेटर्स के नियमों और कार्यप्रणालियों की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी, ताकि तकनीकी बदलावों के साथ सुरक्षा को भी बराबरी से मजबूत किया जा सके।


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Content Writer

Anu Malhotra

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