कट्टरता से दूर होने के साझे विचारों की मजबूती के लिये मिलकर काम करना होगाः डोभाल

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 08:38 PM (IST)

नई दिल्ली (सुनील पाण्डेय): भारत और इंडोनेशिया में अंतर-धार्मिक शांति एवं सामाजिक सौहार्द की संस्कृति को आगे बढ़ाने में उलेमा की भूमिका विषय पर आज यहां दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित हुई। इस मौके पर देशभर के मुस्लिम धर्म गुरू, बड़ी मस्जिदों एवं ऐतिहासिक मजारों के गद्दीनसीन एवं प्रमुख शामिल हुए। कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सीमापार और आईएसआईएस प्रेरित आतंकवाद के खतरा बने रहने को रेखांकित किया। साथ ही कहा कि प्रगतिशील विचारों से कट्टरपंथ एवं चरमपंथ का मुकाबला करने में उलेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है।

डोभाल ने कहा, हमें कट्टरता से दूर होने के साझे विचारों को मजबूत बनाने के लिये मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत और इंडोनेशिया आतंकवाद और अलगाववाद से पीड़ित रहे हैं। जहां इन चुनौतियों से काफी हद तक निपटा गया है, वहीं सीमापार और आईएसआईएस प्रेरित आतंकवाद खतरा बना हुआ है। डोभाल ने कहा, आईएसआईएस प्रेरित व्यक्तिगत आतंकी प्रकोष्ठ तथा सीरिया एवं अफगानिस्तान स्थित ऐसे केद्रों से लौटने वालों के खतरों का मुकाबला करने के लिये नागरिक संस्थाओं का सहयोग जरूरी है। इस्लामी समाज में उलेमा की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस चर्चा का मकसद भारत और इंडोनेशिया के विद्वानों और उलेमा को सहिष्णुता, सौहार्द और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिये साथ आना है, ताकि हिंसक चरमपंथ, आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई को मजबूती प्रदान की जा सके।

गौरतलब है कि इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी एवं सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री मोहम्मद महफूद सोमवार से भारत की यात्रा पर हैं। उनके साथ 24 सदस्यीय एक शिष्टमंडल भी आया है, जिसमें उलेमा के अलावा अन्य धार्मिक नेता भी शामिल हैं। इंडिया इस्लामिक सेंटर में इंडोनेशिया से आए शिष्टमंडल ने यहां भारतीय समकक्षों के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की।

डोभाल ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि चरमपंथ और आतंकवाद इस्लाम के अर्थ के खिलाफ है, क्योंकि इस्लाम का मतलब शांति और सलामती होता है। उन्होंने कहा, लोकतंत्र में नफरती भाषण, पूर्वाग्रह, दुष्प्रचार, हिंसा, संघर्ष और तुच्छ कारणों से धर्म के दुरुपयोग के लिये कोई स्थान नहीं है। इस्लाम के मूल सहिष्णु एवं उदारवादी सिद्धांतों के बारे में लोगों को शिक्षित करने तथा प्रगतिशील विचारों से कट्टरपंथ का मुकाबला करने में उलेमा की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कट्टरपंथ का मुख्य निशाना युवाओं को बनाये जाने की बात पर भी जोर दिया। साथ ही कहा कि अगर इनकी ऊर्जा का सही ढंग से उपयोग किया जाता है, तब ये बदलाव के वाहक बनेंगे ।

डोभाल ने कहा, हमें गलत सूचना के प्रसार और दुष्प्रचार का मुकाबला करने की जरूरत है, जो विभिन्न आस्थाओं को मानने वालों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व से हो सकता है। उन्होंने कहा, इसमें समाज से करीबी सम्पर्क के कारण उलेमा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। डोभाल ने भारत और इंडोनेशिया के करीबी संबंधों एवं सम्पर्कों का भी उल्लेख किया, जो चोल साम्राज्य के काल और उसके बाद से जारी है। साथ ही कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच गहन सम्पर्क के मध्य भारत और इंडोनेशिया लोकतंत्र आगे बढ़ रहे हैं तथा शांति एवं सौहार्द की आकांक्षा को साझा करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया जैसे देश हिंसा और संघर्ष का त्याग करने का दुनिया को संयुक्त संदेश दे सकते हैं। उन्होंने दुनिया के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों में गरीबी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य असुरक्षा, महामारी, भ्रष्टाचार, आय की असमानता, बेरोजगारी आदि का उल्लेख किया।

घृणास्पद बोल और कट्टरता की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं: डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आज कहा कि संकुचित और संकीर्ण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए घृणास्पद बयानों और कट्टरता के लिए लोकतंत्र में काई जगह नहीं है। डोभाल ने कहा कि छोटे मोटे तथा संकीर्ण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लोकतंत्र में घृणास्पद बयानों, भेदभाव, दुष्प्रचार, धोखा देने, हिंसा, टकराव और धर्म के दुरूपयोग के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को इस्लाम में निहित मूल सहिष्णुता तथा उदारता के सिद्धांतों के बारे में शिक्षित तथा जागरूक बनाने में उलेमाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

युवाओं को बचाने के लिए उलेमा आगे आएं
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि विशेष रूप से युवाओं पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है और इस मामले में उलेमा की भूमिका केन्द्रीय है। युवाओं को अक्सर कट्टरपंथ से जोड़ने की कोशिश की जाती है लेकिन यदि उनकी ऊर्जा सही दिशा में इस्तेमाल की जाती है तो वे परिवर्तन के वाहक तथा समाज में प्रगति के स्तंभ बन सकते हैं। डोभाल ने कहा कि सरकारी संस्थानों को भी नकारात्मकता फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ एक होकर आगे आना चाहिए तथा उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करनी चाहिए। उलेमा समाज के साथ अंदर तक जुड़े रहते हैं इसलिए वे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।


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Content Writer

Yaspal

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