Postpartum Intimacy: बच्चे के जन्म के बाद इसलिए शारीरिक संबंध बनाने से कतराती हैं महिलाएं... एक्सपर्ट की चौंकाने वाली राय

punjabkesari.in Thursday, Sep 25, 2025 - 12:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बच्चे के जन्म के बाद एक और नई जिंदगी की शुरुआत होती है - सिर्फ नवजात के लिए नहीं, बल्कि माता-पिता के रिश्ते के लिए भी। जिस रिश्ते में पहले प्यार और शारीरिक नजदीकियां सहज थीं, वहीं अब अचानक दूरियों और उलझनों का सामना होने लगता है। कई महिलाओं के लिए यह बदलाव बेहद गहरा और उलझा हुआ होता है, जो उनकी मानसिक, emotional और physical स्थिति को पूरी तरह से प्रभावित करता है।

"मैं चाहती थी कि कोई मुझे न छुए" — एक माँ की सच्ची कहानी
फिटनेस कोच और रियलिटी टीवी स्टार हौली ब्लैथ ने मां बनने के बाद एक ऐसा अनुभव साझा किया, जिसे शायद कई महिलाएं महसूस तो करती हैं, पर खुलकर कह नहीं पातीं। हौली का कहना था कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा जैसे अब वह किसी भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार नहीं हैं, यहाँ तक कि स्पर्श तक से वे असहज महसूस करने लगीं।

उनका कहना था, “जब मैं अपने पति को गले लगाती, तो मुझे डर लगता कि ये अगला कदम शारीरिक संबंध की ओर न चला जाए... और मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।” लेकिन उन्होंने इस डर और असहजता को छुपाया नहीं। अपने पति से उन्होंने खुलकर बात की, और बताया कि इस वक्त उन्हें अंतरंगता नहीं, बल्कि समझ और भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरत है। इस ईमानदारी ने उनके रिश्ते को और मजबूत बना दिया।

शरीर बदला, सोच बदली, रिश्तों की परिभाषा भी बदली
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन, थकावट, वजाइना की चोटें, और यहां तक कि आत्मविश्वास की कमी भी उनकी यौन इच्छाओं में भारी गिरावट ला सकती है। विशेषज्ञ डॉ. जेनिफर लिंकन बताती हैं कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसे समझने और स्वीकारने की ज़रूरत है - खासतौर पर पार्टनर द्वारा।

कुछ मामलों में, पुरुष साथी भी इस परिवर्तन को महसूस करते हैं। एक अन्य महिला फ्रेंकी ने बताया कि उनके पति ने ही बच्चे के जन्म के बाद शारीरिक संबंधों से दूरी बना ली, क्योंकि वह नई जिम्मेदारियों से अभिभूत थे।

सिर्फ इच्छा नहीं, संवाद भी ज़रूरी है
मनोवैज्ञानिकों और चिकित्सकों का मानना है कि प्रसव के बाद यदि महिला या पुरुष किसी भी कारणवश अंतरंगता से दूरी महसूस करते हैं, तो इसे लेकर खुलकर बात करना जरूरी है। जब तक दोनों पार्टनर अपने मन की बात साझा नहीं करेंगे, तब तक रिश्ते में खामोशी और ग़लतफ़हमियाँ जगह बना सकती हैं। यह भी बेहद ज़रूरी है कि अगर कोई महिला 'ना' कहती है तो उस 'ना' को समझा जाए, न कि अनदेखा किया जाए। यह सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की भी बात है।

कुछ जरूरी सुझाव:
-लुब्रिकेंट या अन्य मेडिकल विकल्प अपनाने से शुरुआती असहजता को कम किया जा सकता है।
-एक-दूसरे के साथ बिना किसी अपेक्षा के quality Time बिताना intimacy के नए मायने दे सकता है।
-यदि emotional या physical परेशानी बनी रहती है, तो गायनेकोलॉजिस्ट या सेक्स थेरेपिस्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

अंत में यही कहा जा सकता है:
बच्चे के जन्म के बाद का समय, सिर्फ शिशु के लिए नहीं, बल्कि माता-पिता के लिए भी एक नए जन्म की तरह होता है। इस दौर में रिश्तों को फिर से परिभाषित करना, धैर्य और समझदारी से ही संभव हो पाता है। प्यार तब और गहरा होता है, जब उसमें जगह हो - एक-दूसरे की भावनाओं, सीमाओं और इच्छाओं के लिए।


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Content Writer

Anu Malhotra

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