भरे स्टेडियम में इस मंत्री ने खींच दी थी अटल बिहारी वाजपेयी की धोती..., कोर्ट ने 29 साल बाद सुनाया बड़ा फैसला

punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 11:23 AM (IST)

नेशनल डेस्क: 29 साल बाद एक बड़े राजनीतिक किस्से पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। यह घटना 1996 में गुजरात में हुई थी, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी की एक रैली के दौरान तत्कालीन मंत्री आत्माराम पटेल की धोती खींच दी गई थी।  इस मामले में भाजपा के ही पूर्व सांसद ए.के. पटेल आरोपी थे, जिन्हें अब कोर्ट से राहत मिली है।

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क्या था 1996 का 'धोती कांड'?

साल 1996 में गुजरात भाजपा में केशुभाई पटेल और शंकरसिंह वाघेला के बीच सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा था। वाघेला उस समय एक शक्तिशाली नेता थे और उन्होंने केशुभाई पटेल के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह के दौरान वाघेला के समर्थकों ने पार्टी के कार्यक्रमों में विरोध प्रदर्शन किए।

उसी समय ए.के. पटेल और मंगलदास पटेल जो वाघेला के समर्थक थे, पर यह आरोप लगा कि उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में आत्माराम पटेल की धोती खींची। आत्माराम पटेल, जो केशुभाई पटेल के करीबी थे, पर यह हमला एक राजनीतिक विरोध का हिस्सा माना गया। यह घटना उस समय की गुजरात की राजनीति में चल रहे मतभेदों को दर्शाती है।

 

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29 साल तक चला मुकदमा, फिर आया फैसला

यह मामला लगभग 29 सालों तक कोर्ट में चलता रहा। हाल ही में अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने ए.के. पटेल के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पाया कि इस मामले के दो प्रमुख व्यक्ति - सह-अभियुक्त मंगलदास पटेल और पीड़ित आत्माराम पटेल - अब इस दुनिया में नहीं हैं.

सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मामला वापस लेने के लिए आवेदन दिया था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एच.जी. पांडे ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला 28 साल पुराने राजनीतिक विवाद से जुड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय के हित में और मामले की प्रकृति को देखते हुए, अभियोजन को वापस लेने की अनुमति देना सही है।

क्या इससे पहले भी ऐसा हुआ था?

जी हाँ. यह पहला मौका नहीं है जब गुजरात में किसी पुराने राजनीतिक मामले को कोर्ट ने खारिज किया हो। इससे पहले, 30 जनवरी 2018 को एक मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया और 41 अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ इसी तरह का एक मामला खारिज कर दिया था। यह दर्शाता है कि गुजरात की राजनीति में पुराने विवादों को सुलझाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सहारा लिया जा रहा है।

 


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News Editor

Radhika

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