SC का केजरीवाल सरकार से सवाल, महिलाओं के लिए ही मुफ्त मेट्रो सेवा क्यों?

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2019 - 06:14 PM (IST)

नई दिल्लीः राजधानी में महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने की दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय की आलोचना का निशाना बनी। न्यायालय ने इस तरह की ‘मुफ्त' यात्रा और ‘रियायत' देने पर सवाल उठाते हुये कहा कि इससे दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेपेशन को घाटा हो सकता है। न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार को ‘जनता के पैसे' से इस तरह की मुफ्त रेवड़ियां देने से गुरेज करना चाहिये और साथ ही उसे चेतावनी दी कि वह उसे ऐसा करने से रोक सकती है क्योंकि न्यायालय ‘अधिकारविहीन' नहीं हैं।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा, ‘‘यदि आप लोगों को मुफ्त यात्रा की इजाजत देंगे तो दिल्ली मेट्रो को घाटा हो सकता है। यदि आप ऐसा करेंगे तो हम आपको रोकेंगे। आप यहां पर एक मुद्दे के लिये लड़ रहे हैं और आप चाहते हैं कि उन्हें नुकसान हो। आप प्रलोभन मत दीजिये। यह जनता का पैसा है।''
PunjabKesari
आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं 
पीठ ने कहा, ‘‘आप दिल्ली मेट्रो को क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? क्या आप इस तरह की घूस देंगे और कहेंगे कि केन्द्र सरकार को इसका खर्च वहन करना चाहिए।'' दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने जून महीने में कहा था कि उनकी सरकार राजधानी में मेट्रो और बस में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने पर विचार कर रही है और उसकी योजना दो तीन महीने के भीतर इसे लागू करने की है। दिल्ली सरकार का यह कदम आगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुये उठाया है।

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस तरह से अपने धन का उपयोग नहीं करना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘आपके पास जो है वह जनता का धन और जनता का विश्वास है।'' पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या आप समझते हैं कि अदालतें अधिकारविहीन हैं। हालांकि दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस प्रस्ताव पर अभी अमल नहीं किया गया है।
PunjabKesari
चौथे चरण का पूरा खर्च उठाएगी दिल्ली सरकार
शीर्ष अदालत ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की परियोजना से संबंधित तीन मुद्दों पर विचार किया। इनमें संचालन का घाटा वहन करना, जापान इंटरनेशनल कार्पोनेशन एजेन्सी के ऋण के भुगतान में चूक होने पर इसका पुनर्भुगतान, और भूमि की कीमत साझा करना शामिल थे। केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच इन मुद्दों को अभी भी सुलझाना बाकी है। पीठ ने निर्देश दिया कि दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण की 103.94 किलोमीटर लंबी परियोजना का संचालन घाटा, यदि कोई हो, दिल्ली सरकार को वहन करना होगा क्योंकि परिवहन का यह साधन राष्ट्रीय राजधानी में आवागमन के लिये है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह दिल्ली मेट्रो रेल निगम की वित्तीय स्थिति ठीक रखे और ऐसा कोई कदम नहीं उठाये जिसकी वजह से उसे घाटा उठाना पड़े। इस परियोजना के लिये भूमि की कीमत साझा करने के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि इसकी कीमत केन्द्र और दिल्ली सरकार को 50:50 के अनुपात में वहन करनी होगी।
PunjabKesari
जानिए कौन-कौन से स्टेशन हैं चौथे चरण में
पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मेट्रो परियोजना के चौथे चरण में किसी प्रकार का विलंब नहीं हो और भूमि की कुल कीमत की 2,247.19 करोड़ रूपए की राशि तत्काल जारी की जाये। पीठ ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वे भूमि की कीमत के भुगतान का तरीका तीन सप्ताह के भीतर तैयार करें। शीर्ष अदालत ने 29 जुलाई को दिल्ली विकास प्राधिकरण को चौथे चरण की परियोजना के तीन प्राथमिकता वाले गलियारों में वित्तीय योगदान बढ़ाने के बारे में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिये समय दिया था। इसका प्रस्ताव पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण ने दिया था। दिल्ली मेट्रो के 103.94 किलोमीटर लंबे चौथे चरण में छह गलियारे होंगे।
PunjabKesari
ये हैं-ऐरोसिटी से तुगलकाबाद, इन्दरलोक से इन्द्रप्रस्थ, लाजपतनगर से साकेत जी ब्लाक, मुकुन्दपुर से मौजपुर, जनकपुरी से आर के आश्रम और रिठाला से बवाना एवं नरेला। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इस साल नौ मार्च को 61.66 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले तीन गलियारों-एरोसिटी से तुगलकाबाद, आर के आश्रम से जनकपुरी (पश्चिम) और मुकुन्दपुर से मौजपुर- के लिये 24,948.65 करोड़ रूपए की लागत की मंजूरी दी थी।

आप यात्रा मुफ्त कराओ, केंद्र खर्च उठाए
पीठ ने कहा कि चौथे चरण के शेष गलियारों के बारे में 23 सितंबर को विचार किया जायेगा। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मेट्रो के लिये इस परियोजना में केन्द्र और दिल्ली बराबर के साझेदार हैं, इसलिए दोनों को भूमि की कीमत 50:50 के अनुपास में वहन करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेट्रो की पहले की परियोजना में केन्द्र और दिल्ली सरकार ने भूमि की कीमत बराबर बराबर साझा की थी। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 2017 की मेट्रो नीति में कहा है कि वह अब भूमि की कीमत साझा नहीं करेगी।
PunjabKesari
दिल्ली सरकार के वकील ने जब जापान से लिये गये ऋण की अदायगी नहीं होने के कारण पुनर्भुगतान का मुद्दा उठाया तो पीठ ने कहा कि जब आप मुफ्त में सुविधायें देंगे तो मेट्रो इसकी कीमत वहन नहीं कर सकती। पीठ ने कहा, ‘‘आप मेट्रो में यात्रा मु्फ्त करायेंगे और चाहते हैं कि इसका खर्च केन्द्र उठाये।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News