होली के अगले ही दिन जामा मस्जिद क्यों पहुंची ASI की टीम, जानिए पूरा मामला
punjabkesari.in Saturday, Mar 15, 2025 - 06:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद में हाल ही में रंगाई-पुताई का काम शुरू हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने इस कार्य की निगरानी करना शुरू कर दिया है। इस पूरी प्रक्रिया में एएसआई की टीम की महत्वपूर्ण भूमिका है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐतिहासिक मस्जिद की संरचना और सौंदर्य में कोई नुकसान न हो। 28 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही जामा मस्जिद में रंगाई-पुताई करने का आदेश दिया था। कोर्ट का यह फैसला मस्जिद की साफ-सफाई और संरचनात्मक मरम्मत के उद्देश्य से लिया गया था। अब इस कार्य की निगरानी करने के लिए एएसआई की एक टीम मस्जिद पहुंची है। एएसआई ने दो पेंटरों को तैनात किया है, जो मस्जिद के रंगाई-पुताई के काम में जुटे हुए हैं।
#WATCH | Uttar Pradesh: A team of ASI (Archaeological Survey of India) reaches Shahi Jama Masjid in Sambhal. On February 28, the Allahabad High Court ordered the cleaning of the mosque premises. pic.twitter.com/EXtD1WFxJW
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 15, 2025
रंगाई-पुताई के लिए विशेष तैयारी
सभी कार्यों के उचित तरीके से संपन्न होने के लिए एएसआई ने दिल्ली से और पेंटर बुलाए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छह और पेंटरों को दिल्ली से मस्जिद पर भेजा गया है, ताकि यह कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। एएसआई की टीम मस्जिद के विभिन्न हिस्सों की सावधानी से जांच कर रही है और कार्य की प्रगति का मूल्यांकन कर रही है।
मस्जिद कमिटी का बयान
जामा मस्जिद कमिटी के सदर, एडवोकेट जफर अली ने इस प्रक्रिया पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मस्जिद के रंगाई-पुताई में हरे, सफेद और सुनहरे रंग का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा, क्योंकि मस्जिद की देखभाल के लिए समय सीमित है। इस कार्य को लेकर स्थानीय लोगों में भी उत्सुकता का माहौल है।
एएसआई की देखरेख में कार्य तेज
हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम मस्जिद के काम की निगरानी कर रही है, ताकि ऐतिहासिक धरोहर की इज्जत बनी रहे। यह कार्य एएसआई के दिशानिर्देशों के अनुसार हो रहा है, ताकि मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व और संरचनाओं को सुरक्षित रखा जा सके। स्थानीय लोग भी इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि मस्जिद को नया रूप मिलने से उसकी सुंदरता और आकर्षण में वृद्धि होगी।