Malegaon Case: ‘उनके 17 साल कौन लौटाएगा?’ नेताओं ने उठाया सवाल, कहा- क्या सिर्फ यही है न्याय?

punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 02:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क। मालेगांव ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने 17 साल बाद अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया है। गुरुवार (31 जुलाई) को कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को ठोस सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस फैसले के बाद से देश में सियासी घमासान शुरू हो गया है जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं।

17 साल कौन लौटाएगा? - बीजेपी सांसद रवि किशन

कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रवि किशन ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि "मुझे समझ नहीं आता कि मैं खुशी मनाऊं या दुख। उनके जीवन के 17 साल कौन लौटाएगा? कांग्रेस के जिन आलाकमान नेताओं ने 'भगवा आतंकी' शब्द दिया था उन्हें जवाब देना चाहिए। उन्हें 100 करोड़ हिंदुओं को जवाब देना चाहिए कि किस आधार पर आपने भगवा आतंकवाद शब्द कहना शुरू कर दिया था।"

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पुलिस सबूत क्यों नहीं दे पा रही? - शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत

वहीं शिवसेना (यूबीटी) के नेता अरविंद सावंत ने जांच एजेंसियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि "कोर्ट ने कहा है कि सबूतों की कमी है। मुंबई रेल ब्लास्ट घटना जिसमें लगभग 187 लोगों की मृत्यु हुई और 800 से अधिक लोग घायल हुए उसमें भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था। दो सवाल खड़े होते हैं कि यदि वे गुनहगार नहीं थे तो उन्हें इतने साल तक बंदी क्यों बनाए रखा? दूसरा क्यों हमारी पुलिस सबूत तक नहीं दे पा रही है? यह जो जांच चल रही है उसे लेकर मुझे ज्यादा चिंता होती है। किसी ने तो इसे (मालेगांव ब्लास्ट) अंजाम दिया था। यह जांच विभाग और पुलिस विभाग की घोर विफलता है।"

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वह निर्दोष हैं - बीजेपी सांसद दामोदर अग्रवाल

भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि "मालेगांव ब्लास्ट के समय हमारे विरोधियों ने साध्वी प्रज्ञा समेत हमारे कई नेताओं पर आरोप लगाए। आज न्यायालय के निर्णय के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। उसी समय 'भगवा आतंकवाद' जैसी बातें भी कही गईं। आज सभी को उनका उत्तर मिल गया है। वे निर्दोष हैं कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।"

बता दें कि यह फैसला 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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