WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कोरोना को लेकर भारत को चेताया, अभी भी सतर्क रहें

punjabkesari.in Monday, May 17, 2021 - 04:44 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच WHO ने एक बार फिर से चेतावनी दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि अभी भारत की मुश्किल खत्म नहीं होने वाली क्योंकि कोरोना से जंग अभी 6-18 महीने तक जारी रहेगी। डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि भारत को अभी सतर्क रहना होगा क्योंकि यह आने वाले महीने काफी महत्वपूर्ण होंगे। 'द हिंदू' को दिए इंटरव्यू में डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना से कब तक जंग रहेगी यह काफी हद तक वायरस के विकस पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इस वायरस के खिलाफ बनने वाली वैक्सीन में कितनी क्षमता है और कितने समय तक यह दवा लोगों की इम्युनिटी को बनाए रख सकती है कुछ चीजें इस पर भी निर्भर करती हैं।  डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि एक दिन इस वायरस का अंत जरूर होगी और हम उम्मीद करते हैं कि साल 2021 तक ऐसा हो जाए। डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि उम्मीद है कि तब तक करीब 30 फीसद आबादी का टीकाकरण हो जाएगा और तब इस महामारी से हो रही मौतों में गिरावट भी दिखनी शुरू हो जाएगी। साथ ही साल 2022 में वैक्सीनेशन और भी तेज हो जाएगा। 

 

इलाज के दौरान रखें खास ध्यान
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि लोगों को इलाज के दौरान प्रोटोकॉल का खास ध्यान रखना होगा। लोगों को समझना होगा कि एक गलत दवा फायदे की जगह भारी नुकसान कर सकती है। अभी तक जितनी भी दवाइयां कोरोना मरीजों को दी गईं उनका उनपर ज्यादा असर नहीं हुआ। 

 

B1.617 कोरोना वेरिएंट ज्यादा खतरनाक
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में मिला कोरोना का B1.617 वेरिएंट काफी खतरनाक हैं क्योंकि यह कोविड-19 के मूल रूप से विकसित हुआ है और हर बार अपना रूप बदल रहा है। हालांकि यह एक error की तरह होता है लेकिन कई बार यह ज्यादा प्रभावित करता है। डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि WHO ने अब तक 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में चार वेरिएंट शामिल किए हैं-  B 1.617 सबसे नया है, जो कि सबसे पहले भारत में पाया गया और बाद में दुनिया के तकरीबन 50 देशों तक फैल गया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह ज्यादा संक्रामक वेरिएंट है। उन्होंने कहा कि यह ब्रिटेन में मिले B 117 वेरिएंट से काफी खतरनाक है जिसके कारण भारत में ऐसी स्थिति पैदा हुई है।

 

साथ ही उनहोंने कहा कि अभी हमारे पास यह भी डाटा मौजूद नहीं है कि जिनको कोविशील्ड या कोवैक्सीन दी गई है उन पर नए वेरिएंट से संक्रमित होने की संभावना कितनी है। उन्होंने कहा कि इस पर शोध की जरूरत है। साथ ही उन लोगों का डेटा चाहिए होगा जिनको वैक्सीन लग गई है। उन्होंने कहा कि भारत में बनी वैक्सीन काफी प्रभावशाली है लेकिन कई केस ऐसे भी सामने आए है जो दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित पाए गए लेकिन उन पर वायरस का ज्यादा असर नहीं हुआ। साथ ही उन्होंने कहा कि एक बात तो साफ हो गई कि जीवन में स्वास्थ्य ही सबकुछ है। लोगों का शारीरिक रूप के अलावा मानसिक स्ट्रांग होना भी बेहद जरूरी है।


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Content Writer

Seema Sharma

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