इलेक्शन डायरी: जब प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री को हुई 3 साल की सजा

punjabkesari.in Sunday, May 12, 2019 - 01:28 PM (IST)

इलेक्शन डेस्क: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक तरफ जहां नेताओं द्वारा दल बदलने के किस्सों की भरमार है वहीं देश एक ऐसे शर्मनाक घटनाक्रम का साक्षी भी बना जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री को सांसदों की खरीद-फरोख्त के मामले में 3 साल की सजा सुना दी गई। हालांकि हाईकोर्ट में जाकर इस मामले में उन्हें राहत मिल गई लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को सजा की यह खबर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के बीच सुर्खियां बनीं।

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पूरा मामला 28 जुलाई 1993 को उस वक्त शुरू हुआ जब संसद में नरसिम्हा राव की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया। इस दौरान सरकार की तरफ से झारखंड मुक्ति मोर्चा के 4 सांसदों मेहतो, साइंड मरांडी, सूरज मंडल और शिबू सोरेन को खरीद कर अपने पक्ष में मतदान करवाया गया। इस पूरे मामले में फरवरी 1996 में सी.बी.आई. के पास शिकायत पहुंची और सी.बी.आई. ने साक्ष्यों के साथ आई इस शिकायत पर एफ.आई.आर. दर्ज करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री बूटा सिंह और अन्य 9 लोगों के खिलाफ भी चार्जशीट दायर कर दी। 
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इस मामले में 12 अक्तूबर 2000 को निचली अदालत ने राव और बूटा सिंह को 3 साल की सजा सुनाई जबकि इस मामले में वीर राजेश्वर राव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतीश शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल, वीरप्पा मोइली, एच.वी. रेवन्ना, रामङ्क्षलगा रैड्डी, एम. थिमीगौड़ा और डी.के. अधिकेश्वलु को बरी कर दिया गया। हालांकि 15 मार्च 2002 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों को बरी कर दिया। 


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vasudha

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