उत्तर भारत में समय से पहले बढ़ी गर्मी, महंगा हो सकता है गेहूं
punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 03:14 PM (IST)
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नेशनल डेस्क. बसंत खत्म होने से पहले ही उत्तर भारत में गर्मी का अहसास होने लगा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों में फरवरी का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज किया गया है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मार्च में तापमान और बढ़ सकता है, जिससे रबी फसलों, खासतौर पर गेहूं के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। अगर गेहूं का उत्पादन घटा, तो आटे की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है।
मार्च में तापमान 30 डिग्री तक पहुंच सकता है
यूरोपीय मौसम एजेंसी कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2025 अब तक का सबसे गर्म जनवरी महीना था, जिसमें औसत तापमान 13.23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। फरवरी भी काफी गर्म रहा है, जबकि इस दौरान ला-नीना प्रभाव के कारण ठंडक महसूस होनी चाहिए थी।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मार्च में देशभर में तापमान 18 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। पिछले साल यानी 2024 में मार्च का औसत तापमान 14.4 डिग्री सेल्सियस था, लेकिन इस बार गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ने की संभावना जताई जा रही है।
गेहूं के उत्पादन पर मंडरा रहा खतरा
भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश गेहूं की प्रमुख पैदावार वाले राज्य हैं। लेकिन असमय बढ़ रही गर्मी से गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में मौसम में आए बदलाव की वजह से गेहूं उत्पादन में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है:
2021: 129 मिलियन टन
2022: 106 मिलियन टन (गिरावट)
2023: 113 मिलियन टन (थोड़ी सुधार)
2025: सरकार का लक्ष्य 115 मिलियन टन
लेकिन अगर गर्मी ज्यादा बढ़ी, तो यह लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो सकता है। गर्म मौसम गेहूं के दाने की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है।
आटे की कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी
पिछले दो वर्षों में आटे की कीमतों में भारी उछाल देखा गया।
2023: आटे की कीमत में 40% तक की वृद्धि
2024: प्रति किलो आटा 40 रुपये से अधिक
अगर इस साल भी गेहूं उत्पादन कम होता है, तो इसका सीधा असर आटे की कीमतों पर पड़ सकता है। नीति आयोग की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, 2027-28 तक भारत में गेहूं की खपत 97 मिलियन टन से बढ़कर 107 मिलियन टन होने की संभावना है, यानी उत्पादन और खपत लगभग बराबर हो जाएगी।
सरकार की गेहूं खरीद घटी, चिंता बढ़ी
सरकार की गेहूं खरीद में भी कमी आई है:
2020-21: 43.1 मिलियन टन
2023-24: 26.6 मिलियन टन
2025 का लक्ष्य: 30 मिलियन टन
अगर सरकार ने गेहूं खरीद में लापरवाही बरती और मौसम की मार जारी रही, तो आटे की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है।