Premanand Maharaj: तीर्थ यात्रा पर पीरियड्स आए तो क्या करें? प्रेमानंद महाराज ने दिया महिलाओं को समाधान
punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 04:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: तीर्थ यात्रा के दौरान महिलाओं को पीरियड्स आ जाने पर क्या उन्हें भगवान के दर्शन करने चाहिए या नहीं? यह सवाल अक्सर कई महिलाओं के मन में उठता है. इसी दुविधा पर वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक महत्वपूर्ण जवाब दिया है, जो परंपराओं पर एक नई रोशनी डालता है।
मासिक धर्म अपराध नहीं पवित्र जिम्मेदारी
प्रेमानंद महाराज ने मासिक धर्म को अपराध नहीं, बल्कि एक पवित्र जिम्मेदारी बताया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी स्थिति में महिलाओं को दर्शन से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। एक महिला भक्त ने महाराज से सवाल पूछा कि, "बहुत सारी महिलाएँ हमारे पास आती हैं और उन सबके पास एक ही प्रश्न होता है कि हम इतनी मुश्किल से यहाँ (तीर्थ) तक पहुँचते हैं। अब पीरियड्स हो जाएँ तो उस अवस्था में क्या करें? दर्शन करें या नहीं करें?"
मासिक धर्म कोई निंदनीय बात नहीं, यह वंदनीय है
इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, "मासिक धर्म कोई ऐसा नहीं है कि बहुत निंदनीय बात हो। यह बहुत वंदनीय बात है।" उन्होंने इसके पीछे का पौराणिक रहस्य भी समझाया। महाराज ने बताया कि माताओं ने देवराज इंद्र की ब्रह्म हत्या को अपने ऊपर लिया हैऔर यह कोई अपराध नहीं है।
उन्होंने पौराणिक कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि देवराज इंद्र पर वृत्रासुर नामक ब्राह्मण को मारने पर ब्रह्महत्या का दोष लगा था। इस ब्रह्महत्या को ब्रह्म ऋषियों ने चार भागों में विभाजित करने का फैसला किया, जिसमें से एक भाग जल, दूसरा भाग वृक्ष, तीसरा भाग भूमि और चौथा भाग स्त्री को दिया गया।
- नदी: जल में जो फेन (झाग) दिखाई देता है, उसे ब्रह्म हत्या का अंश माना जाता है।
- वृक्ष: वृक्षों से निकलने वाला गोंद ब्रह्म हत्या का अंश माना जाता है।
- भूमि: भूमि पर जो गड्ढे होते हैं, उन्हें ब्रह्म हत्या का अंश माना जाता है।
- स्त्री: स्त्रियों में जो पीरियड्स होते हैं, उसे ब्रह्म हत्या का अंश माना जाता है।
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प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, "यह महिलाओं की वंदना है। इन्होंने इंद्र की ब्रह्म हत्या को अपने ऊपर लिया। इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. अब इसके लिए उन्हें उस लाभ (तीर्थ) से वंचित कर दिया जाए, तो ऐसा नहीं हो सकता है।"
प्रेमानंद महाराज ने दिया व्यावहारिक समाधान
संत ने इस स्थिति में एक व्यावहारिक समाधान भी बताया। उन्होंने कहा कि, "स्नान आदि करके पवित्र होकर दर्शन कर लें। आप कुछ भेंट नहीं कर सकती हैं और कुछ छू भी नहीं सकती हैं, लेकिन दूर से दर्शन करके अपने जीवन को सफल तो कर सकती हैं।"
उन्होंने आगे समझाया कि इतनी मेहनत करके किसी भी धाम में पहुँचना सबके लिए आसान नहीं होता। कोई-कोई जैसे-तैसे इंतज़ाम करके पहुँचता है, तो कोई अपने कामों से मुश्किल से समय निकालकर जाता है। ऐसे में सिर्फ मासिक धर्म के कारण उन्हें दर्शन से वंचित नहीं रखा जा सकता। यह शिक्षा उन महिलाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आई है जो अपनी धार्मिक यात्राओं के दौरान ऐसी दुविधा का सामना करती हैं।