जानें जेल में मां बनने वाली मुस्कान के बच्चे के क्या होगें अधिकार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 08, 2025 - 01:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड में एक नई चौंकाने वाली खबर सामने आई है। हत्या के आरोप में जेल में बंद मुस्कान अब मां बनने वाली है। सौरभ राजपूत की हत्या के मामले में मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल की गिरफ्तारी के बाद जेल में रहने के दौरान उसकी प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यह खबर न केवल इस मामले को फिर से चर्चाओं में लाने वाली है बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि जेल में पैदा होने वाले बच्चे को क्या-क्या अधिकार मिलते हैं।

जेल में बंद महिलाओं और उनके बच्चों की स्थिति

भारत की जेलों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल 1330 जेलों में 5.73 लाख से ज्यादा कैदी बंद हैं, जिनमें 23,772 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 1,537 महिलाएं अपने बच्चों के साथ जेल में रह रही हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इनमें से आधी से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने जेल में ही अपने बच्चों को जन्म दिया है। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि ऐसे बच्चों को कौन-कौन से अधिकार और सुविधाएं दी जाती हैं।

जेल में मां बनने वाली महिलाओं के लिए नियम और प्रावधान

भारतीय जेलों में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम लागू किए गए हैं ताकि उन्हें और उनके बच्चे को सुरक्षित वातावरण मिल सके।

  1. जन्म के बाद अलग सेल में रहना:
    बच्चे के जन्म के बाद मां और बच्चे को एक महीने के लिए अलग सेल में रखा जाता है। इसका उद्देश्य होता है कि बच्चे को संक्रमण से बचाया जाए और उसकी सही देखभाल की जा सके।

  2. बच्चे को मां के साथ रहने की अनुमति:
    यदि महिला कैदी के साथ पहले से कोई छोटा बच्चा है, तो उसे 6 साल की उम्र तक मां के साथ जेल में रहने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान जेल प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे पर जेल के माहौल का नकारात्मक असर न पड़े।

  3. स्वास्थ्य और सुरक्षा की व्यवस्था:
    जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखे।

जेल में पैदा होने वाले बच्चों के अधिकार

भारतीय संविधान के अनुसार, जेल में पैदा होने वाले बच्चों को भी अन्य बच्चों की तरह ही मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • जीवन जीने का अधिकार: बच्चे को सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है।

  • शिक्षा का अधिकार: बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया जाता है। जेल प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे को स्कूल जाने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाए।

  • स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार: बच्चे को स्वास्थ्य सेवाएं और नियमित चिकित्सकीय जांच का अधिकार है।

  • सुरक्षा का अधिकार: बच्चे को किसी भी प्रकार के शोषण और दुर्व्यवहार से बचाने का अधिकार है।

यह जिम्मेदारी जेल प्रशासन की होती है कि वह बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक व्यवस्था करे।

मुस्कान के मामले में बच्चे के अधिकार क्या होंगे?

मुस्कान की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अब यह सवाल उठता है कि उसके बच्चे को कौन-कौन से अधिकार मिलेंगे। भारतीय कानून के अनुसार:

  • बच्चा अपनी मां के साथ 6 साल की उम्र तक जेल में रह सकता है।

  • जेल प्रशासन बच्चे के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेगा।

  • बच्चे को जीवन जीने का अधिकार और अन्य मौलिक अधिकार मिलेंगे, भले ही उसकी मां के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हों।

बच्चे पर अपराध का प्रभाव नहीं पड़ेगा

भारत का कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि माता-पिता के अपराधों की सजा बच्चे को नहीं मिलनी चाहिए। इसलिए, मुस्कान के बच्चे को उसकी मां के अपराधों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। बच्चे को एक सामान्य जीवन जीने का अधिकार है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की सभी सुविधाएं शामिल हैं।

 

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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