SCO Summit: क्या है SCO समिट जिसके लिए पाकिस्तान गए विदेश मंत्री... चीन और PAK को सुनाई खरी-खरी

punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 08:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क : शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई, चीन में हुई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। शुरुआत में, इसमें चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान, और उज़्बेकिस्तान शामिल थे। बाद में, भारत और पाकिस्तान को 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।

उद्देश्य
SCO के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • सुरक्षा और स्थिरता: आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद के खिलाफ सामूहिक प्रयास करना।
  • आर्थिक सहयोग: क्षेत्रीय विकास और व्यापार को बढ़ावा देना।
  • संस्कृतिक आदान-प्रदान: सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को मजबूत करना।
  • राजनीतिक सहयोग: अंतरराष्ट्रीय मामलों में सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना।

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संरचना
SCO की संरचना में विभिन्न निकाय शामिल हैं:

  • शिखर सम्मेलन: प्रमुख नेताओं का वार्षिक सम्मेलन जो संगठन की दिशा तय करता है।
  • मंत्रिस्तरीय बैठकें: विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों की बैठकें, जो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करती हैं।
  • कार्यकारी समिति: संगठन के कार्यों को संचालित करने के लिए एक स्थायी सचिवालय होता है।

सदस्य देश
वर्तमान में SCO के पूर्ण सदस्य देश हैं:

  1. चीन
  2. भारत
  3. पाकिस्तान
  4. रूस
  5. कज़ाकिस्तान
  6. किर्गिज़स्तान
  7. ताजिकिस्तान
  8. उज़्बेकिस्तान

इसके अलावा, कुछ पर्यवेक्षक और भागीदार देश भी हैं, जैसे कि अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान, और मोरक्को।

चुनौतियाँ और विवाद
SCO का मुख्य ध्यान सुरक्षा मुद्दों पर है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे:

  • भाषाई और सांस्कृतिक भिन्नताएँ: सदस्य देशों के बीच भिन्नताएँ समझौता करने में बाधा बन सकती हैं।
  • राजनीतिक तनाव: भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव SCO की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।
  • आर्थिक असमानताएँ: विभिन्न देशों की आर्थिक स्थिति में अंतर, सहयोग के प्रयासों में रुकावट डाल सकता है।
     

 

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SCO की बैठक पाकिस्तान में आयोजित की गई

आपको बता दें कि इस साल एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित की गई। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया।

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प्रतिभागियों की संख्या
इस समिट में भारत के अलावा 15 अन्य देशों के नेता भी शामिल हुए। यह बैठक विभिन्न देशों के बीच सहयोग, सुरक्षा, और विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती है।

  • 1. भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर
  • 2. चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग
  • 3. रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन
  • 4. ईरान के पहले उप-राष्ट्रपति मोहम्मद रजा आरिफ
  • 5. बेलारूस के प्रधान मंत्री रोमन गोलोवचेंको
  • 6. कजाकिस्तान के प्रधान मंत्री ओल्जास बेक्टेनोव
  • 7. किर्गिस्तान की कैबिनेट के अध्यक्ष झापारोव अकीलबेक
  • 8. ताजिकिस्तान के प्रधान मंत्री कोखिर रसूलजोदा
  • 9. उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव
  • 10. मंगोलियाई प्रधानमंत्री ओयुन-एर्डीन लुवसन्नामराय
  • 11. तुर्कमेनिस्तान के मंत्रिपरिषद के उपाध्यक्ष राशिद मेरेडोव
  • 12. एससीओ महासचिव झांग मिंग
  • 13. एससीओ रैट्स कार्यकारी समिति के निदेशक रुसलान मिर्जायेव
  • 14. एससीओ व्यापार परिषद के अध्यक्ष आतिफ इकराम शेख
  • 15. एससीओ इंटरबैंक यूनियन परिषद के अध्यक्ष मराट येलिबायेव

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एस. जयशंकर का पाकिस्तान में संबोधन 
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एससीओ समिट में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा किया। उन्होंने लगभग 24 घंटे पाकिस्तान में बिताए और बुधवार शाम को भारत लौटने के लिए उड़ान भरी। इस दौरान, उन्होंने पाकिस्तान सरकार का मेहमाननवाजी के लिए धन्यवाद किया।

सोशल मीडिया पर आभार
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, "इस्लामाबाद से प्रस्थान, आतिथ्य और शिष्टाचार के लिए धन्यवाद।"

Departing from Islamabad. Thank PM @CMShehbaz, DPM & FM @MIshaqDar50 and the Government of Pakistan for the hospitality and courtesies. pic.twitter.com/wftT91yrKj

— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 16, 2024

SCO समिट में आतंकवाद पर चर्चा
इस्लामाबाद में एससीओ समिट की बैठक में जयशंकर ने आतंकवाद और व्यापार के संबंध पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि "आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते," और सभी देशों को एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने की आवश्यकता है।

आत्मनिरीक्षण का संदेश
जयशंकर ने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती में कमी आई है या पड़ोसी देशों के साथ संबंध बिगड़े हैं, तो इस स्थिति पर आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। उनका यह बयान दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आपसी विश्वास और संवाद कितने महत्वपूर्ण हैं।

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आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता

  • संबंधों का मूल्यांकन: उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दोनों देशों को अपनी नीतियों और कार्यों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। अगर विश्वास की कमी है, तो इसे सुधारने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

  • संवाद और समझ: आत्मनिरीक्षण का अर्थ है कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की चिंताओं और उम्मीदों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे संबंधों में सुधार संभव हो सके।

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CPEC पर भारत का रुख
जयशंकर ने सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्वीकरण और पुनःसंतुलन वर्तमान समय की महत्वपूर्ण वास्तविकताएँ हैं। उन्होंने एससीओ देशों को सलाह दी कि वे सहयोग, आपसी सम्मान और संप्रभु समानता के आधार पर संबंधों को बढ़ावा दें। सीपीईसी, चीन और पाकिस्तान के बीच एक प्रमुख आर्थिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना और पाकिस्तान में बुनियादी ढांचे का विकास करना है। भारत ने इस परियोजना पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि यह भारतीय क्षेत्र (जैसे जम्मू और कश्मीर) से होकर गुजरती है।

पाकिस्तान का शांति का संदेश
समिट के प्रारंभ में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान शांति, सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास चाहता है। उन्होंने अफगानिस्तान का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां शांति जरूरी है और अफगानी जमीन का उपयोग पड़ोसी देशों के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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