वायनाड भूस्खलन : भारतीय सेना ने 4 दिन बाद चार जीवित लोगों को बचाया
punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 01:13 PM (IST)
केरल : केरल के वायनाड में भूस्खलन के चार दिन बाद भारतीय सेना ने एक साहसी बचाव अभियान में चार लोगों को जीवित बाहर निकाला है। इनमें दो महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं, जो पदावेट्टी कुन्नू क्षेत्र में भूस्खलन के कारण फंस गए थे। इनमें से एक महिला को चलने में कठिनाई हो रही है और उसका इलाज चल रहा है। शुक्रवार को, भूस्खलन के चौथे दिन, भारतीय सेना की 40 टीमों ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थितियों के बावजूद खोज और बचाव अभियान शुरू किया। इस कठिन परिस्थिति में, सेना ने अत्यधिक सटीकता और सावधानी के साथ ऑपरेशन को अंजाम दिया, ताकि सभी को सुरक्षित रूप से निकाला जा सके। बचाव कार्य में सहायता के लिए सेना ने लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) का भी उपयोग किया, जिससे मलबे के बीच फंसे हुए लोगों को निकालने में मदद मिली।
इस अभियान के दौरान, 190 फुट लंबे 'बेली ब्रिज' का निर्माण पूरा किया गया, जो बचाव कार्य को तेज करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस पुल के जरिए भारी मशीनें, खुदाई उपकरण और एम्बुलेंस अब मुंडक्कई और चूरलमाला तक पहुँच सकती हैं, जिससे पीड़ितों तक पहुँचने में तेजी आई है। बचाव कार्य में 40 टीमें शामिल हैं, जो भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के छह प्रमुख जोनों—अट्टामाला, आरणमाला, मुंडक्कई, पुंचिरिमट्टम, वेल्लारीमाला गांव, और जीवीएचएसएस वेल्लारीमाला—में पीड़ितों की तलाश करेंगी। इन टीमों में भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), डीएसजी, तटरक्षक बल, नौसेना, और एमईजी के कर्मी शामिल हैं। इसके साथ ही, तीन स्थानीय लोग और वन विभाग का एक कर्मचारी भी इस अभियान में भाग ले रहे हैं।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि चलियार नदी में पीड़ितों की खोज भी जारी रहेगी। नदी के 40 किलोमीटर क्षेत्र में स्थित आठ पुलिस थानों के पुलिसकर्मी और स्थानीय तैराक बल मिलकर उन शवों की खोज करेंगे जो बहकर नीचे चले गए हैं या नदी के किनारे फंसे हो सकते हैं। तटरक्षक बल, नौसेना, और वन विभाग के कर्मी संयुक्त रूप से नदी के किनारों और संभावित स्थानों पर खोज अभियान चलाएंगे।
राजस्व मंत्री के. राजन ने एक दिन पहले यह भी बताया कि मलबे में दबे शवों की पहचान के लिए दिल्ली से ड्रोन आधारित रडार शनिवार को वायनाड लाया जाएगा। इस ड्रोन तकनीक से मलबे के भीतर दबे शवों का पता लगाने में मदद मिलेगी, जिससे राहत और बचाव कार्य को और अधिक प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सकेगा।