Waynad से पहले भी हुए है Land Slide के बड़े हादसे, केदारनाथ में मारे गए थे हज़ारों श्रद्धालु!
punjabkesari.in Tuesday, Jul 30, 2024 - 11:20 AM (IST)
नेशनल डेस्क: केरल के वायनाड में हुए लैंड स्लाइड के कारण अब तक 43 लोगों की मौत हो गई है और सैंकड़ों अन्य फंसे हुए है। भारत में यह लैंड स्लाइड का पहला हादसा नहीं है जो जानलेवा साबित हुआ है इस से पहले भी भारत के विभिन्न हिस्सों में ऐसे हादसे होते रहे हैं लेकिन हर बड़े हादसे के बाद इनसे सबक़ लेने का काम नहीं किया जाता। पढ़िए 10 ऐसे बड़े हादसों के बारे में जो जानलेवा साबित हुए !
भारत में 10 सबसे बड़े भूस्खलन की घटनाएं और मृतकों की संख्या
1. *मालपा भूस्खलन (1998)*
- *स्थान:* उत्तराखंड
- *तिथि:* 18 अगस्त 1998
- *मृत्यु संख्या:* लगभग 255 लोग
2. *केदारनाथ भूस्खलन (2013)*
- *स्थान:* केदारनाथ, उत्तराखंड
- *तिथि:* जून 2013
- *मृत्यु संख्या:* हजारों लोग (सटीक संख्या अज्ञात)
3. *नैनीताल भूस्खलन (1980)*
- *स्थान:* नैनीताल, उत्तराखंड
- *तिथि:* 18 अगस्त 1980
- *मृत्यु संख्या:* 150 लोग
4. *दर्जिलिंग भूस्खलन (1968)*
- *स्थान:* पश्चिम बंगाल
- *तिथि:* अक्टूबर 1968
- *मृत्यु संख्या:* 500 से अधिक
5. *पिथौरागढ़ भूस्खलन (2016)*
- *स्थान:* उत्तराखंड
- *तिथि:* जुलाई 2016
- *मृत्यु संख्या:* 30 लोग
6. *मोकोकचुंग भूस्खलन (1994)*
- *स्थान:* नागालैंड
- *तिथि:* 23 जुलाई 1994
- *मृत्यु संख्या:* 200 लोग
7. *उत्तरकाशी भूस्खलन (2012)*
- *स्थान:* उत्तरकाशी, उत्तराखंड
- *तिथि:* अगस्त 2012
- *मृत्यु संख्या:* 34 लोग
8. *ईस्ट खासी हिल्स भूस्खलन (2020)*
- *स्थान:* मेघालय
- *तिथि:* जून 2020
- *मृत्यु संख्या:* 20 लोग
9. *मंडी भूस्खलन (2017)*
- *स्थान:* हिमाचल प्रदेश
- *तिथि:* 13 अगस्त 2017
- *मृत्यु संख्या:* 46 लोग
10. *कोडागु भूस्खलन (2018)*
- *स्थान:* कर्नाटक
- *तिथि:* अगस्त 2018
- *मृत्यु संख्या:* 17 लोग
भूस्खलन के कारण
1. *भारी वर्षा:* अधिक बारिश के कारण मिट्टी की स्थिरता कम हो जाती है, जिससे भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
2. *भौगोलिक अस्थिरता:* पहाड़ी क्षेत्रों में भूगर्भीय अस्थिरता भूस्खलन का मुख्य कारण है।
3. *मानव गतिविधियाँ:* अव्यवस्थित निर्माण और वनों की कटाई से भूमि की संरचना कमजोर हो जाती है।
4. *जलवायु परिवर्तन:* बढ़ते तापमान और बदलते मौसमी पैटर्न से भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
प्रशासनिक उपाय
1. *बचाव और राहत अभियान:* त्वरित बचाव और राहत कार्य भूस्खलन के बाद तुरंत शुरू किए जाते हैं।
2. *पुनर्वास योजनाएँ:* प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए स्थायी पुनर्वास की योजना बनाई जाती है।
3. *भूगर्भीय अध्ययन:* भूस्खलन प्रवण क्षेत्रों में नियमित भूगर्भीय अध्ययन और सर्वेक्षण किए जाते हैं।
4. *चेतावनी प्रणाली:* बेहतर चेतावनी प्रणाली की स्थापना की जाती है ताकि लोगों को समय रहते सचेत किया जा सके।
5. *वन संरक्षण:* वनों की कटाई पर रोक और पुनर्वनीकरण को प्रोत्साहित किया जाता है।
6. *नीतिगत सुधार:* निर्माण और विकास योजनाओं में सुधार किए जाते हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।