महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन तीन जगहों पर मची थी भगदड़? श्रद्धालुओं ने बताई आपबीती
punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2025 - 01:44 PM (IST)
नेशनल डेस्क: महाकुंभ में हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं, लेकिन इस बार का महाकुंभ बेहद खौ़फनाक साबित हुआ। मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मचने से 30 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई घायल हो गए। इन घटनाओं ने प्रशासन की नाकामी और सुरक्षा इंतजामों की पोल खोल दी है। आइए जानते हैं इस भयावह घटना के बारे में विस्तार से जो श्रद्धालुओं ने बताई आपबीती -
1. संगम नोज पर पहली भगदड़: बैरेकेडिंग टूटने से मची अफरा-तफरी
मौनी अमावस्या के दिन रात एक बजे संगम नोज पर जब श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे, तो बैरेकेडिंग टूटने से भगदड़ मच गई। यह घटना उस वक्त हुई जब श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के लिए सो रहे थे। अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा और बैरेकेडिंग टूट गई। इस दौरान लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए इधर-उधर भागने लगे। इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई। यह घटना किसी भीड़ के लिए डरावनी हो सकती थी, लेकिन प्रशासन का ढ़ीला रवैया स्थिति को और भी खराब कर रहा था।
2. महावीर मार्ग पर हुई दूसरी भगदड़: सुरक्षा इंतजाम नाकाम
पहली घटना के कुछ घंटे बाद, मेला क्षेत्र के महावीर मार्ग पर भी भगदड़ मच गई। रात करीब 3 बजे हुई इस भगदड़ में भी कई लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगे। चश्मदीदों के अनुसार सुरक्षा बलों की संख्या बहुत कम थी, जिस कारण स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो गया। इस दौरान कई लोग एक दुकान में घुसकर अपनी जान बचाने लगे। दुकानदार महिला ने बताया कि लोग बिना पानी के बदहवास थे और उनका सामान भी बिखरा हुआ था। स्थिति बेहद भयावह थी और लोगों को बमुश्किल बचाया गया।
3. पांटून पुल पर हुई तीसरी भगदड़: पुल पर लगी लकड़ियां टूटीं
मौनी अमावस्या के दिन तीसरी घटना फाफामऊ इलाके में बने पांटून पुल पर हुई। भारी भीड़ के कारण पुल पर लगी लकड़ियां टूट गईं और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। श्रद्धालु एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे और कई लोग घायल हो गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें किसी पुलिसकर्मी का दिखाई न देना सवालों के घेरे में है। इस हादसे में दर्जनों श्रद्धालु घायल हुए और उनकी मदद के लिए कोई उचित इंतजाम नहीं थे।
प्रशासन पर उठे सवाल
इन घटनाओं के बाद यह साफ हो गया कि प्रशासन की ओर से सुरक्षा इंतजाम बेहद कमजोर थे। चश्मदीदों का कहना है कि पुलिस की मौजूदगी कम थी और स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। भगदड़ की इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अगर प्रशासन ने समय रहते सही कदम नहीं उठाए तो भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा कैसे जा सकेगा।