डीजे वाले बाबू मेरा गाना बजा दो फरमाइश करना पड़ा महंगा

punjabkesari.in Tuesday, May 08, 2018 - 10:45 AM (IST)

पश्चिमी दिल्ली(मुकेश ठाकुर): जिम ट्रेनर विजयदीप की मौत ने दो परिवारों में बज रहे शगुन के गीतों को विलाप में बदल दिया। मृतक विजयदीप का दो दिन बाद ही रोका होना था और दो माह बाद उसकी शादी होनी थी। पर उसकी इस अकस्मात मौत ने उसके माता-पिता के सपनों को चूरचूर कर दिया। तिलक नगर के विष्णु गार्डन में रहने वाले विजयदीप सिंह सग्गू के पिता हरजिंदर सिंह सग्गू का पंजाबी बाग इलाके में खुद का व्यवसाय है। दो भाइयों में बड़े विजयदीप को शुरू से ही बॉडीबिल्डिंग का शौक था। इसी शौक को उसने अपना व्यवसाय भी बनाया था और फतेहनगर, मुखर्जी पार्क इलाके में उसने डी फॉरमेशन नाम से खुद का एक जिम भी खोला था। 
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जहां वह खुद आने वालों को बॉडीबिल्डिंग का प्रशिक्षण भी दिया करता था। वह फ्रीलांस फिटनेस मॉडल का भी काम करता था। जवान बेटे की मौत के सदमे के बाद भी अपने आप को संभाले पिता हरजिंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने उसकी शादी भी तय कर दी थी। दो दिन बाद ही उसका रोका होने वाला था और दो माह बाद शादी की तिथि भी निर्धारित हो गई थी। परिवार के लोग शादी की तैयारी में लगे हुए थे। रविवार को भी घर में कह कर गया था कि वह किसी दोस्त के जन्मदिन की पार्टी में जा रहा है और रात को थोड़ी देर से आएगा। ज्यादा देर होने पर वह फोन कर देगा। पर रात में उसका फोन तो नहीं आया, पुलिस ने फोन कर बताया कि उनके बेटे की किसी से मारपीट हो गई है, इसमें उसे काफी चोटें आई हैं। वे भागते हुए अस्पताल पहुंचे, वहां पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उसकी मौत हो गई है। यह कहते हुए उनका गला रुंध गया, आस-पास खड़े लोगों ने उन्हें संभाला।
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नाजुक अंगों पर लगी चोट से हुई मौत  
बाउंसरों ने विजयदीप के नाजुक अंगों पर चाकू से सबसे ज्यादा वार किए जिससे उसकी मौत हुई। बताया जाता है कि इस पिटाई से उसके कूल्हे की हड्डी भी टूट गई और नाक-मुंह के जबड़े में गंभीर चाटें आई हैं। डाक्टरों के मुताबिक इन्हीं जगहों पर ’यादा चोट लगने से विजयदीप को नहीं बचाया जा सका। 

बाउंसर हैं या गुंडे, नहीं रखती पुलिस रिकॉर्ड
राजधानी के अधिकांश पब और बॉरों में लगे बाउंसरों के आपराधिक रिकॉर्ड हैं, उसके बाद भी पुलिस उन पर कार्रवाई नहीं करती है। ये लोग अक्सर बार में लोगों की पिटाई करते रहते हैं। इस संबंध में अनेकों शिकायतें पुलिस के पास हैं। बताया जाता है कि राजधानी में चलने वाले बारों से पुलिस को अ‘छी रकम मिलती है जिसके कारण पुलिस वहां होने वाली हर गलत गतिविधि पर आंखें बंद कर लेती है। 
 


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Anil dev

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