VIDEO- 8 पुलिसकर्मियों का 'कातिल' ढेर, स्ट्रेचर पर खून से लथपथ दिखा विकास दुबे का शव
punjabkesari.in Friday, Jul 10, 2020 - 08:53 AM (IST)
नेशनल डेस्कः उत्तर प्रदेश के कानपुर में बरर क्षेत्र में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे को मार गिराया है। कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसे के बाद कुख्यात अपराधरी विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस महानिरीक्षक मोहित ने बताया कि इसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। गैंगस्टर विकास दुबे का खून से लथपथ शव अस्पताल में स्ट्रेचर पर पड़ा दिखाई दिया। IG बिलासपुर, छत्तीसगढ़ दीपांशु काबरा ने इसका वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है और लिखा कि भागने की कोशिश विकास दुबे का एनकाउंटर।
Shocking news coming in that Gangster #VikasDubey Died in Police Counter Firing while he was trying to escape, by snatching weapons of Police Personnel.
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) July 10, 2020
He was immidiately rushed to Kanpur Hospital.
Further details awaited.
News Source : India TV#विकासदूबे#VikasDubeyEncounter pic.twitter.com/7pLYkrl5Z7
बता दें कि यूपी पुलिस विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही थी कि पुलिस का वाहन बरर क्षेत्र के अंतर्गत कानपुर भौंती मार्ग में पलट गया। हादसे के बाद भाग रहे विकास की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस कर्मियों ने बताया कि गुरुवार को मध्यप्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार हुए गैंगस्टर विकास को पुलिस अभिरक्षा में सड़क मार्ग से कानपुर ला रहा था। उसे शुक्रवार सुबह 10 बजे अदालत में पेश करना था। संचेडी क्षेत्र तक सब कुछ ठीकठाक था लेकिन बरर क्षेत्र में पुलिस का वह वाहन पलट गया। वाहन पलटते ही विकास ने भागने की कोशिश की जिस पर पुलिस दल ने फायरिंग की। इस घटना में गंभीर रूप से घायल हिस्ट्रीशीटर को निजी अस्पताल मे भर्ती कराया गया है जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
बता दें कि विकास और उसके साथियों ने कानपुर में चौबेपुर के बिकरू गांव में पिछली 2 जुलाई की रात को आठ पुलिसकर्मियों की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस सिलसिले में पुलिस अब तक विकास के पांच साथियों को ढेर कर चुकी है। विकास की गुरुवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी की गई थी। पुलिस दल उसे लेने चाटर्र प्लेन से उज्जैन गया था लेकिन वापसी में उसे सड़क मार्ग से लाने का फैसला किया गया।