UP: चटाई पर सो रहीं मैडम, हाथ में किताब की जगह पंखे से टीचर की हवा करते नजर आए बच्चे, Video वायरल
punjabkesari.in Saturday, Jul 27, 2024 - 06:02 PM (IST)
नेशनल डेस्कः उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की एक टीचर का सोशल मीडिया पर तेजी से वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में देख सकते हैं कि स्कूल में मैडम साहिबा क्लास के अंदर चटाई बिछाकर उसमें लेटी हुई हैं। नींद के मजे ले रही हैं। नन्ही बच्चियों के हाथ में किताब की जगह पंखा है। कहीं मैडम को गर्मी न लगे, इसलिए वो उन्हें पंखे से हवा दे रही हैं। वीडियो सामने आने के बाद बच्चों के परिजनों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं लेकिन यहां तो उनसे कुछ और ही करवाया जा रहा है। मामला सामने आने के बाद डीआईएसओ ने वीडियो की जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, वीडियो उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के का है। धनीपुर ब्लॉक के गोकुलपुर में स्थित एक प्राइमरी स्कूल में एक महिला टीचर आराम से स्कूल के फर्श पर चटाई बिछाकर नींद के मजे ले रहीं हैं। गर्मी से बेहाल बच्चे मैडम की हवा कर रहे हैं। इससे पहले भी गोकुलपुर के प्राथमिक विद्यालय का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक टीचर बच्चे की पिटाई करता नजर आया था।
जब शिक्षक ही ऐसे होंगे तो शिक्षण कैसा होगा,भयंकर गर्मी से निजात पाने को मासूमों से हवा कराती मास्टरनी साहिबा, 😤👩🏫
— ज़िन्दगी गुलज़ार है ! (@Gulzar_sahab) July 27, 2024
अलीगढ़ में शिक्षिका के द्वारा मासूम बच्चों से उमस भरी गर्मी में पंखा कराने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. यूपी के अलीगढ़ के धनीपुर ब्लॉक के… pic.twitter.com/AHud4DaLnE
मामला यूपी के शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के गृह जनपद से जुड़ा होने के कारण सरकारी शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद बीएसए ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार सिंह का कहना है कि टीम गठित कर वीडियो की जांच कराई जाएगी और उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी. महिला टीचर की भी पहचान की जा रही है।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में टीचरों को 8 बजे तक स्कूल तक पहुंचने के बाद ऑनलाइन हाजिरी लगाने के आदेश दिए थे। इस आदेश का यूपी के टीचरों ने विरोध शुरू कर किया था। विरोध के बाद आदेश को 2 महीने के लिए स्थगित कर दिया है। यूपी की शिक्षा व्यवस्था पर पहले भी सवाल खड़े होते रहे हैं। दरअसल, सरकारी अध्यापक स्कूलों में समय से नहीं पहुंचते।