UGC new guidelines: छात्रों के लिए मिलेंगे नए अवसर और फ्लेक्सिबिलिटी, जानें सभी अहम बदलाव

punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2024 - 12:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में समावेशिता, लचीलापन और बहु-विषयक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए एक नई गाइडलाइन तैयार की है। इस नई गाइडलाइन का उद्देश्य छात्रों को अधिक अवसर और सुविधाएं प्रदान करना है ताकि वे अपनी शिक्षा को अपनी रुचियों और करियर की दिशा के अनुसार ढाल सकें। इस गाइडलाइन को ‘ग्रेजुएट डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री रेगुलेशन, 2024’ के तहत लागू किया जाएगा। 

बाईएनुअल एडमिशन (दो बार प्रवेश) की सुविधा
नई गाइडलाइन में सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक है बाईएनुअल एडमिशन की सुविधा। अब, उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) को यह स्वीकृति दी गई है कि वे छात्रों का प्रवेश दो बार, यानी जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में कर सकते हैं। इससे छात्रों को अपनी पढ़ाई शुरू करने के लिए अधिक समय और विकल्प मिलेंगे, और वे अपनी अकादमिक योजना को अपने व्यक्तिगत जीवन और करियर की जरूरतों के हिसाब से बेहतर तरीके से फिट कर सकेंगे। 

क्या है ड्यूल डिग्री (Dual Degree) और बहु-विषयक अध्ययन
UGC की नई गाइडलाइन के तहत, छात्रों को एक ही समय में दो यूजी (Undergraduate) या पीजी (Postgraduate) डिग्रियां लेने की स्वतंत्रता दी गई है। यह नीति छात्रों को कई कौशल हासिल करने का मौका देती है, जिससे वे बहु-विषयक दृष्टिकोण से अध्ययन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र जो विज्ञान की डिग्री कर रहा है, वह साथ में व्यापार प्रशासन (MBA) की डिग्री भी हासिल कर सकता है। यह कदम छात्रों को एक ही समय में दो अलग-अलग क्षेत्रों में गहरी विशेषज्ञता हासिल करने का मौका प्रदान करेगा, जो उन्हें भविष्य के पेशेवर जीवन में अधिक सक्षम और प्रतिस्पर्धी बनाएगा। 

किसी भी विषय में प्रवेश का अवसर
नई गाइडलाइन के अनुसार, अब छात्रों को अपनी पिछली शिक्षा या विषय के आधार पर कोई बाधा नहीं होगी। उन्हें अब किसी भी यूजी या पीजी कार्यक्रम में प्रवेश पाने का मौका मिलेगा, बशर्ते वे संबंधित प्रवेश परीक्षा में सफल हों। इससे छात्रों को अपनी पसंदीदा शाखा में पढ़ाई करने की आज़ादी मिलेगी, भले ही उन्होंने अपनी पूर्वी शिक्षा में कोई और विषय चुना हो। यह कदम भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में समावेशिता और लचीलापन को बढ़ावा देगा। नई गाइडलाइन के तहत, क्रेडिट प्रणाली को और भी सरल किया गया है। अब छात्रों को यूजी डिग्री के लिए अपने मुख्य विषय में कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिटप्राप्त करना होगा। बाकी के क्रेडिट को कौशल विकास, अप्रेंटिसशिप या बहु-विषयक अध्ययन से पूरा किया जा सकता है। इससे छात्रों को न केवल उनकी मुख्य पढ़ाई में बल्कि अपने कौशल सेट को भी मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

संस्थानों को मिली स्वायत्तता
नई गाइडलाइन के तहत, उच्च शिक्षा संस्थान अब अपनी उपस्थिति नीति बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप होंगी। इसका मतलब है कि संस्थान छात्रों को अधिक लचीलापन और समायोजन प्रदान करेंगे, जिससे वे अपनी शिक्षा को अपने जीवन के अन्य पहलुओं के साथ आसानी से संतुलित कर सकेंगे। 

UGC अध्यक्ष का बयान
UGC के अध्यक्ष, प्रोफेसर जगदीश कुमार ने कहा, "हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में लचीलापन और विविधता को बढ़ावा दें। इन नई गाइडलाइंस के तहत छात्रों को अपनी पढ़ाई को ज्यादा कस्टमाइज करने का अवसर मिलेगा और वे अपनी रुचियों और करियर की दिशा के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नए नियमों के लाभ

1. Flexible admission: छात्रों को जुलाई और जनवरी में प्रवेश लेने का विकल्प।
2. Dual degree program: एक साथ दो डिग्रियों को पूरा करने का अवसर।
3. Freedom to choose any subject: छात्रों को अपनी पिछली शिक्षा के बिना नए विषयों में प्रवेश की स्वतंत्रता।
4. Simple credit system: मुख्य विषय में कम से कम 50 प्रतिशत क्रेडिट के साथ, अन्य क्रेडिट कौशल विकास या अप्रेंटिसशिप से पूरा किया जा सकता है।
5. New institute policies: संस्थान अपनी उपस्थिति और शिक्षण नीतियां तय कर सकते हैं, जो NEP 2020 के अनुरूप होंगी।

UGC की नई गाइडलाइंस भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को छात्रों के लिए और अधिक समावेशी, लचीला और कस्टमाइज्ड बनाने का प्रयास है। इससे छात्रों को नए अवसर, नई दिशा और नई चुनौतियों का सामना करने का मौका मिलेगा। यह बदलाव उन्हें भविष्य में एक व्यापक दृष्टिकोण और बहु-विषयक कौशल के साथ प्रतिस्पर्धी दुनिया में अपने कदम मजबूत करने में मदद करेगा।


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Content Editor

Mahima

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