UAPA दोधारी तलवार: आतंक पर नकेल तो राजनीतिक दुरुपयोग की भी आशंका

punjabkesari.in Thursday, Aug 01, 2019 - 11:00 AM (IST)

 

नेशनल डेस्कः गैर कानूनी गतिविधियां (निरोधक) संशोधन अधिनियम-2019 (यू.ए.पी.ए.) लोकसभा से पास होने के बाद अब राज्यसभा में लाया जाना है। यह संशोधन 1967 के मूल अधिनियम में 4 नए कड़े प्रावधान जोड़ने की सिफारिश करता है। सरकार का कहना है कि वह आतंक पर अंकुश लगाने के लिए यह प्रावधान चाहती है, जबकि विपक्ष इसके राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका जता रहा है। उधर सरकार इस कानून को चौगुनी धार देने पर जुटी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 8 जुलाई 2019 को यह संशोधित अधिनियम लोकसभा में पेश किया था, जिसे 24 जुलाई को निचले सदन में पारित कर दिया गया।

 

आतंकवादी कौन
इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार उस किसी भी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित कर सकती है जो-:
1. आतंक की घटना को अंजाम देता है या उसमें भागेदारी करता है
2. आतंकवाद की तैयारी कर रहा है
3. आतंकवाद को बढ़ावा देता है या
4. किसी भी तरह से आतंकवाद से जुड़ा है
संशोधन : संशोधन विधेयक में यह प्रस्ताव जोड़ा गया है कि अब सरकार इसी आधार पर सिर्फ संगठन ही नहीं किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है।

 

संपत्ति जब्त : इस अधिनियम के तहत जांच अधिकारी डी.जी.पी. की पूर्व स्वीकृति से ही आतंकवाद से जुड़े मामले में संपत्ति जब्त कर सकता है।
संशोधन : विधेयक में यह प्रस्ताव जोड़ा गया है कि नैशनल इनवैस्टिगेशन एजैंसी (एन.आई.ए.) का जांच अधिकारी भी एन.आई.ए. के डी.जी. की अनुमति से ऐसी संपत्ति जब्त कर सकता है।

 

जांच कौन करेगा
अधिनियम के मुताबिक ऐसे मामलों की जांच डी.एस.पी. और ए.सी.पी. या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी को ही सौंपी जा सकती है। संशोधन : यह प्रस्ताव जोड़ा गया है कि अब एन.आई.ए. का इंस्पैक्टर या उससे ऊपर के स्तर का अधिकारी भी ऐसे मामलों की जांच कर सकेगा।

 

आतंकी कार्य का निर्धारण : इस अधिनियम में आतंकवादी कार्यों या गतिविधियों की भी व्याख्या की गई है और उन्हें सूचिबद्ध किया गया है। इसमें कन्विंशन फार द सुपरेशन ऑफ टैरारिस्ट बंबिंग्स (1997) और कन्विंशन अगेंस्ट टेकिंग ऑफ हॉस्टेज (1979) की 9 संधियों को सूची में रखा गया है।
संशोधन : अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप न्यूक्लियर आतंकवाद को भी जोड़ा गया है।

 

टाडा और पोटा से तुलना
सरकार जो नए प्रावधान लाना चाह रही है उसकी आतंकवाद के खिलाफ पूर्व में लाए गए सख्त कानूनों टाडा और पोटा से तुलना हो रही है। इन दोनों कानूनों के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की शिकायतों के बाद में वापस लिया गया था।


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Seema Sharma

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