महाकौशल के दो महारथी अब मध्यप्रदेश में बिछा रहे है चुनावी जाल

punjabkesari.in Tuesday, May 01, 2018 - 08:29 PM (IST)

भोपाल ( विवेक तिवारी) : चुनाव से पहले प्रदेश की राजनीति में महाकौशल प्रांत का दबदबा बढ़ गया है। अब दो दिग्गज चुनावी संग्राम में अपनी सेना के साथ दो—दो हाथ करने को तैयार है। प्रदेश में 3 बार के सांसद का सीधा मुकाबला 9 बार के सांसद कमलनाथ से हैं। दोनों ही महाकौशल प्रान्त से आते हैं। फर्क सिर्फ इतना है की राकेश सिंह को प्रदेश में जमा हुआ संगठन मिल गया है, तो कमलनाथ को बिखरी हुई कांग्रेस को बहुत ही कम समय में एकत्र करना है।15 साल से सत्ता का सुख भोग रही शिवराज सरकार के सामने एक बार फिर बादशाहत कायम रखने की चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव-2018 को देखते हुए दोनों ही प्रमुख दलों ने महाकौशल को तरजीह दी। महाकौशल से बीजेपी और फिर कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से अंचल में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। साफ है कि महाकौशल से ही प्रदेश की सियासी बिसात बिछने वाली है, तो दोनों ही पार्टियां अगले चुनाव में महाकौशल की 38 विधानसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करने लगी हैं। बीजेपी ने 32 साल बाद और कांग्रेस ने 40 साल बाद महाकौशल को महत्व देते हुए प्रदेश की कमान महाकौशल को सौंपी है। 

34 सीटों से बनती बिगड़ती सरकार
34 विधानसभा सीट वाला महाकौशल, आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश यानि महाकौशल, विंध्य और बुंदेलखंड में पार्टियों की चुनावी जीत हार का गणित फिट करता है। मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा भी सबसे ज्यादा इसी महाकौशल  के ज़िलों से गुज़रती है, जो प्रदेश की सियासत का अहम मुद्दा भी रही है। ऐसे में विकास और नर्मदा संरक्षण के मोर्चे पर घिरी भारतीय जनता पार्टी ने 32 साल बाद अपना प्रदेश अध्यक्ष महाकौशल से ही बनाया। बीजेपी ने साल 1985 से 86 तक सिर्फ एक साल के लिए जबलपुर के शिवप्रसाद चनपुरिया को अपना प्रदेश अध्यक्ष चुना था। इसके बाद 32 साल बाद राकेश सिंह को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इधर कांग्रेस को भी साल 1980 में जबलपुर के मुंदर शर्मा के चुने जाने के 40 साल बाद महाकौशल से अपना प्रदेश अध्यक्ष मिला। 

सियासत का केंद्र बना महाकौशल
बीजेपी और कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष मिलने से सियासी सरगर्मियां आसमान पर पहुंच गई हैं। कांग्रेस ज्यादा उत्साहित हैं, जो कमलनाथ के विकास के विज़न को सामने रखकर महाकौशल की 38 सीटों में से 30 सीटें जीतने का दावा ठोंक रही है। इधर अपने दांव पर पलटवार में, कांग्रेस द्वारा भी महाकौशल से ही प्रदेश अध्यक्ष बना दिए जाने से बीजेपी सतर्क हो गई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अब महाकौशल के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए कामकाज का ब्यौरा देने लगे हैं। बहरहाल देखना होगा कि महाकौशल की जनता चौथी बार प्रदेश में किस पार्टी को विजय तिलक लगाएगी।   

महाकौशल अंचल की 38 विधानसभा का गणित 
2013  विधानसभा चुनाव 
सीट 38 
बीजेपी 24 
कांग्रेस 13 
अन्य 1 

इस गणित को समझे तो बीजेपी को अपनी सीटे बचानी होगी और कांग्रेस इजाफा करने की कोशिश करेगी, ऐसे में राजनीति का केंद्र बिंदु यही होने वाला हैं।


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