Pahalgam Attack: हमले में जान गंवाने वालों में शामिल थे पुणे के दो मित्र, मौत से सदमे में हैं दोस्त और परिजन
punjabkesari.in Wednesday, Apr 23, 2025 - 10:55 PM (IST)

पुणेः कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले 26 लोगों में शामिल कौस्तुभ गणबोटे पहली बार जम्मू-कश्मीर गये थे। उनके घनिष्ठ मित्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कौस्तुभ गणबोटे बमुश्किल ही शहर के बाहर जाते थे और वह कश्मीर यात्रा को लेकर बहुत रोमांचित थे। कौस्तुभ गणबोटे और संतोष जगदाले दोनों ही पुणे के निवासी थे और उनकी उम्र 55 से अधिक रही होगी। ये दोनों पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये महाराष्ट्र के छह पर्यटकों में शामिल थे।
कौस्तुभ गणबोटे के करीबी मित्रों ने बताया कि गनबोटे ने अपने ‘फरसाण' स्नैक्स के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए जीवन भर कड़ी मेहनत की थी तथा काम से छुट्टी कर एक दुर्लभ यात्रा पर गए थे लेकिन यह एक त्रासदी में तब्दील हो गई। कौस्तुभ गणबोटे, उनकी पत्नी संगीता, जगदाले, उनकी पत्नी प्रगति और उनकी बेटी असावरी कश्मीर में छुट्टियां मना रहे थे, लेकिन आतंकवादी हमले ने दोनों परिवारों की जिंदगी को बर्बाद कर रख दिया।
रास्ता पेठ में रहने वाले गणबोटे के बचपन के दोस्त और पड़ोसी सुनील मोरे ने बताया, ‘‘ पूरी ज़िंदगी वह अपने कारोबार को बढ़ाने में व्यस्त रहे। यह पहली बार था जब उन्होंने और उनकी पत्नी ने शहर से बाहर यात्रा करने का फ़ैसला किया था। उन्होंने अपने करीबी दोस्त संतोष और उसके परिवार के साथ मिलकर इस यात्रा की योजना बनाई थी। सिर्फ आठ दिन पहले ही उन्होंने मुझे कश्मीर की योजना के बारे में बताया था। वह वाकई बहुत उत्साहित थे।''
मोरे ने बताया कि गणबोटे ने अपना पूरा जीवन रास्ता पेठ की एक संकरी गली में गुजारा और हाल ही में कोंढवा-सासवाड़ रोड पर अपना घर बनवाया है, जहां उनकी फरसाण फैक्टरी भी है। उनके दोस्त ने कहा कि अपने खुशमिजाज और मददगार स्वभाव के लिए जाने जाने वाले गनबोटे अपने पुराने इलाके में एक परिचित और प्रिय व्यक्ति थे। उनके दोस्त ने बताया कि वह हाल ही में दादा बने थे और बहुत खुश थे।
मोरे ने याद करते हुए कहा, ‘‘बीस साल पहले जब वह जिस टेम्पो में यात्रा कर रहे थे, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस हादसे से उन्हें गंभीर चोटें आईं। वह इसे अपना दूसरा जन्म कहते थे।'' जगदाले के भाई अविनाश ने बताया कि वह इंटीरियर डिजाइनिंग का व्यवसाय चलाते थे, हारमोनियम भी बजाते थे। अविनाश ने बताया कि जगदाले को घूमना-फिरना और नई जगहों की खोज करना बहुत पसंद था। गणबोटे और जगदाले के पार्थिव शरीर रात 11 बजे तक पुणे पहुंचने की उम्मीद है। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि अंतिम संस्कार वैकुंठ श्मशान घाट पर किया जाएगा।