ऑफ द रिकॉर्डः ‘ट्रंप के जाने से भारत-अमरीका’ संबंधों को कोई नुक्सान नहीं

Friday, Feb 12, 2021 - 05:45 AM (IST)

नई दिल्लीः अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने प्रशासन में प्रमुख पदों पर 20 भारतीय-अमरीकियों को नामित किया है, यह भारत की एक बड़ी जीत है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के प्रशंसकों में खुशी की कोई कमी नहीं थी, वे इसे मोदी के नेतृत्व की बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रहे हैं। 

उन्होंने दावा किया कि भारत-अमरीका संबंधों में ट्रंप के जाने से मोदी को कोई नुक्सान नहीं हुआ है और बाइडेन प्रशासन में 20 भारतीय-अमरीकियों की नियुक्ति के साथ संबंध मजबूत होंगे लेकिन विश्लेषकों ने बताया कि बाइडेन ने अपनी टीम में 2 व्यक्तियों को शामिल नहीं किया, जिन्हें आर.एस.एस.-भाजपा का करीबी माना जाता है। ऐसे में सोनल शाह और अमित जानी को प्रमुख पदों पर चयन के लिए समर्थन नहीं मिला। उन्होंने चुनाव के दौरान बाइडेन और उनकी टीम के लिए काम किया। 

वहीं सोनल शाह के पिता, जिन्होंने बाइडेन की एकता टास्क फोर्स में सेवा की है, वे बी.जे.पी.-यू.एस.ए. के ओवरसीज फ्रैंड्स के अध्यक्ष थे और आर.एस.एस. द्वारा संचालित एकल विद्यालय के संस्थापक थे। भारत के प्रति बाइडेन के इतने मित्रवत रवैये का संदेह कुछ हफ्तों बाद स्पष्ट हो गया जब नए प्रशासन ने भारत में आंदोलनकारी किसानों को अपना समर्थन दिया। मोदी प्रशासन उस समय असहज हो गया जब सबसे शक्तिशाली महिला व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी ने इस आंदोलन का समर्थन किया, लेकिन आने वाले महीनों में बाइडेन का इस पर रुख स्पष्ट दिखाई देगा। 

विदेश मंत्री जयशंकर के हाथ में एक कठिन कार्य है, क्योंकि मोदी समर्थकों का मानना था कि ट्रंप चुनाव जीतेंगे। हालांकि, संयुक्त राज्य अमरीका में भाजपा समर्थकों ने कथित तौर पर अंतिम महीनों में ट्रंप से दूरी बनाए रखी। अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि डैमोक्रेट पारंपरिक रूप से भारत के लिए अनुकूल नहीं थे, लेकिन बाइडेन अंतत: वैश्विक स्थिति के चलते कोई कदम उठा सकते हैं।

Pardeep

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