अमेरिकी किसानों को बड़ा झटका... भारत समेत इन देशों ने मोड़ा मुंह, अब क्या करेंगे ट्रंप ?
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 03:32 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अमेरिकी किसान अपने मक्का और सोयाबीन की फसल बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ अब उनके लिए ही बड़ा संकट बन गया हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत और चीन अपनी कड़ी नीति बनाए रखेंगे, तो अमेरिकी किसानों के लिए खरीददार मिलना मुश्किल हो जाएगा, जिससे ट्रंप को भी झुकना पड़ सकता है।
भारत, चीन और ब्राजील ने अमेरिकी टैरिफ का विरोध किया
भारतीय वकील और लेखक नवरूप सिंह का कहना है कि अमेरिका अब राहत देने के दौर में नहीं है। चीन और ब्राजील ने ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ अपना रुख दृढ़ रखा है। नवरूप सिंह ने कहा कि अगर ये देश अपनी नीति पर कायम रहते हैं, तो अमेरिका की व्यापारिक स्थिति कमजोर हो जाएगी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अमेरिकी मक्का और सोयाबीन के लिए कोई खरीदार नहीं! भारत, चीन, रूस और ब्राजील अगर ट्रंप को घसीटेंगे, तो वह झुक जाएंगे।'
सीनेट में भी मुद्दा गरम
अमेरिकी सीनेट में किसानों के सामने मौजूद बाजार संकट पर चर्चा हुई। नेता जॉन थ्यून ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ और चीन की जवाबी 34% टैरिफ के कारण अमेरिकी किसानों के पास अपनी फसल बेचने का कोई विकल्प नहीं बचा। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अमेरिकी सोयाबीन निर्यात पर बड़ा असर
बीते साल अमेरिका ने 24.5 अरब डॉलर मूल्य का सोयाबीन निर्यात किया, जिसमें 12.5 अरब डॉलर चीन ने खरीदा। अब चीन ने अपनी खरीद ब्राजील और अर्जेंटीना से शुरू कर दी है। इससे अमेरिकी किसानों को वित्तीय संकट और घटते बाजार विकल्पों का सामना करना पड़ रहा है।
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भारत का रुख
भारत ने अमेरिकी सोयाबीन और मक्का पर कड़ी नीति अपनाई है। मक्का पर 45% और सोयाबीन पर 60% तक टैरिफ लागू है। भारत आनुवंशिक रूप से संशोधित फूड प्रोडक्ट्स के आयात पर प्रतिबंध रखता है, इसलिए अमेरिका का निर्यात कम सफल रहा। भारत सोया ऑयल और कृषि आयात के लिए अब अर्जेंटीना, ब्राजील और यूक्रेन पर अधिक निर्भर है।
व्यापार युद्ध का उल्टा असर
सीमित वैश्विक विकल्पों के कारण अमेरिकी किसानों को अपनी फसल का भंडारण करना या भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार राहत पैकेज दे रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं माना जा रहा। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका द्वारा शुरू किया गया यह व्यापार युद्ध अब खुद अमेरिका पर ही उल्टा पड़ रहा है।