AIIMS दिल्ली में रोबोटिक तकनीक से होगा अब इस बीमारी का ईलाज

punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 04:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने थायरॉयड और पैराथायरॉयड रोगियों को बड़ी राहत दी है. अब इन दोनों बीमारियों की सर्जरी पारंपरिक ओपन ऑपरेशन की जगह एंडोस्कोपिक और रोबोटिक तकनीक से की जाएगी. इससे मरीजों को न केवल कम दर्द होगा बल्कि इलाज के बाद कोई बड़ा निशान भी नहीं रहेगा.

क्या है एंडोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी?

एंडोस्कोपिक सर्जरी में डॉक्टर बहुत छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं जिनमें एक कैमरा और सूक्ष्म उपकरण डाले जाते हैं. कैमरे से अंदर की तस्वीर स्क्रीन पर दिखती है जिससे डॉक्टर सटीकता से सर्जरी करते हैं. रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर एक रोबोटिक सिस्टम को नियंत्रित करते हैं जो उनकी हर हरकत को बेहद बारीकी से फॉलो करता है. इससे गलती की संभावना लगभग खत्म हो जाती है और सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होती है.

मरीजों को मिलेंगे ये बड़े फायदे

  • कोई बड़ा निशान नहीं रहेगा – खासतौर पर महिलाओं के लिए ये तकनीक फायदेमंद है जिन्हें स्कार्स का डर होता है.

  • जल्दी रिकवरी – ओपन सर्जरी के मुकाबले मरीज जल्दी स्वस्थ होकर सामान्य जीवन में लौट सकते हैं.

  • कम दर्द और जटिलताएं – छोटे चीरे और अत्याधुनिक तकनीक के कारण दर्द और संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है.

  • अस्पताल में कम समय – इस तकनीक से ऑपरेशन के बाद ज्यादा दिन अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पड़ती.

AIIMS बना देश का पहला सरकारी संस्थान

AIIMS दिल्ली अब देश का पहला और इकलौता ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया है जहां एंडोस्कोपिक और रोबोटिक थायरॉयड और पैराथायरॉयड सर्जरी बिल्कुल मुफ्त की जा रही है. इसके लिए डॉक्टरों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है और ऑपरेशन थिएटर को अत्याधुनिक मशीनों और रोबोटिक सिस्टम से लैस किया गया है.

किन मरीजों को मिलेगा लाभ?

एम्स के अनुसार ये एडवांस तकनीक उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जिन्हें:

  • थायरॉयड कैंसर है

  • बिनाइन थायरॉयड नोड्यूल्स हैं

  • पैराथायरॉयड एडेनोमा है

  • हार्मोनल असंतुलन के कारण सर्जरी की जरूरत है

हालांकि, अंतिम फैसला डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार करते हैं.

क्या कहते हैं एम्स के विशेषज्ञ?

एक फेमस प्रोफेसर की अगुवाई में सर्जन टीम अब इन दोनों ग्रंथियों की जटिल बीमारियों का इलाज नई तकनीक से कर रही है. उनका कहना है कि, “इस तकनीक ने सर्जरी की परिभाषा ही बदल दी है. अब मरीज डर और निशान की चिंता किए बिना इलाज करा सकते हैं.”


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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