2025: भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता में एक निर्णायक मोड़

punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 08:34 PM (IST)

वर्ष 2025 भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी यात्रा में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ है, क्योंकि वह विभिन्न अहम क्षेत्रों में नए आत्मविश्वास और दुनिया भर में अपनी विशिष्ट पहचान के साथ उभरा है। यह तकनीक के साथ भारत के रिश्तों में आए एक मौलिक बदलाव का संकेत है।

आर्टिफिशियल इंटैलीजैस एवं सैमीकंडक्टर से लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों तक के मामले में, भारत ने यह दिखाया है कि वह अब वैश्विक तकनीकों को सिर्फ अपना ही नहीं रहा बल्कि उन्हें आकार भी दे रहा है। आजाद भारत के इतिहास में यह पहला मौका है, जब तकनीकी आत्मनिर्भरता कोई सपना नहीं बल्कि एक ऐसी हकीकत बन रही है जो विकसित भारत-2047 के विजन के साथ मजबूती से जुड़ी हुई है।

ए.आई. क्रांतिः डिजिटल आधार का सशक्तिकरण : इंडिया ए.आई. मिशन के तहत, नैतिक एवं मानव केन्द्रित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का महत्वपूर्ण निवेश किया है। इसका लक्ष्य आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस का सामाजिक लोकतंत्रीकरण, खासकर भारत के ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच की बड़ी खाई को पाटने का एक जरिया बनना सुनिश्चित करना है।

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भारत ने देश के ए. आई. से जुड़े राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के व्यापक विस्तार की घोषणा की और इसके तहत 15,916 नए जी.पी.यू. जोड़े गए। भारत की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता अब 38,000 जी.पी.यू. से अधिक हो गई है। हाल ही में भारत ए. आई. से जुड़ी प्रतिस्पर्धा में संयुक राज्य अमरीका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर रहा। इससे दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, जापान, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से भारत आगे निकल गया है।

सैमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरताका नया युग : भारत के इतिहास में पहली बार किसी सरकार ने सैमीकंडक्टर मैन्युफैक्करिंग को देश के तकनीकी मिशन का मुख्य हिस्सा बनाया है। मई 2025 में भारत ने नोएडा और बेंगलुरु में 3 नैनोमीटर आकार की चिप के डिजाइन के लिए समर्पित दो उन्नत इकाइयों का शुभारंभ करके एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया।

इन इकाइयों के मायने मैन्युफैक्करिंग क्षमता अर्जित करने से कहीं बढ़कर हैं। ये इकाइयां भारत की उस यात्रा की शुरुआत का प्रतीक हैं जिसमें यह देश सैमीकंडक्टर से जुड़ी अपनी जरूरतों के 90 प्रतिशत हिस्से का आयात करने से लेकर अब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपना भविष्य खुद तय की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

3 नैनोमीटर आकार की चिप स्मार्टफोन एवं लैपटॉप से लेकर उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर समेत दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक का मुख्य हिस्सा हैं। अकेले 2025 में भारत ने 5 और सैमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी। इससे 6 राज्यों में स्थापित सैमीकंडक्टर इकाइयों की कुल संख्या 10 हो गई है।

रणनीतिक रूप से उपयोगी दुर्लभ मृदा एवंमहत्वपूर्ण खनिज मिशन : जिस प्रकार गगनचुंबी इमारतों के 'निर्माण में इस्पात जरूरी होता है, ठीक वैसे ही महत्वपूर्ण खनिज सैमीकंडक्टर के निर्माण का आधार होते हैं। इनके बिना कोई उन्नत इलैक्ट्रॉनिक्स, ए. आई. और डिजिटल भविष्य संभव नहीं हो सकता। खनिजों की सुदृढ़ घरेलू आपूर्ति को विकसित करके भारत उन देशों से होने वाले आयात पर अपनी निर्भरता कम कर पाएगा जो अभी कई महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला पर हावी हैं।

चक्रीय अर्थव्यवस्था की दिशा में ठोस प्रयास: वर्ष 2025 में एक खास दूरदर्शी कदम उठाया गया। भारत ने लिथियम, कोबाल्ट, निक्कल और दुर्लभ मृदा तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) की घरेलू क्षमता के निर्माण हेतु 1,500 करोड़ रुपए की पुनर्चक्रण योजना (2025-26 से 2030-31) को मंजूरी दी।

अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी राष्ट्रीय गौरव की पहचान बनी रही। इसरो ने कुछ सबसे जटिल और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए। एक बड़ी उपलब्धि 30 जुलाई 2025 को जी.एस.एल.वी.-16 पर मिली जब रडार उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा गया। यह ऐतिहासिक भारत-अमरीका सहयोगी मिशन दुनिया का सबसे उन्नत पृथ्वी अवलोकन राडार उपग्रह है।

मानव सहित अंतरिक्ष उड़ान से जुड़ी भारत की महत्वाकांक्षाओं ने जुलाई 2025 में उस समय एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने।

वर्ष के अंत में इसरो ने 2 नवम्बर, 2025 को एल.वी.एम.3. एम5 रॉकेट का इस्तेमाल करके सी.एम.एस. 03 का प्रक्षेपण करके एक और उपलब्धि हासिल की। लगभग 4,400 किलोग्राम भार वाला सी.एम.एस.03 भारत द्वारा प्रक्षेपित अब तक का सबसे भारी उपग्रह है जो एल.वी.एम.-3 प्रक्षेपण यान की भारी सामान उठाने की बढ़ी हुई क्षमता को दर्शाता है और इसे अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था।


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