कारगिल युद्ध के 3 जांबाज जिन्‍होंने पाकिस्‍तान के छुड़ाए थे छक्‍के

punjabkesari.in Tuesday, Jul 26, 2016 - 07:01 PM (IST)

नई दिल्ली: कारगिल युद्ध में अपने अदम्‍य साहस और जांबाजी के बल पर दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ाने वाले देश के कई वीर सपूतों के बारे में आपने पढ़ा या सुना होगा। इन वीरों ने 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल में बड़े पैमाने पर घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों को खदेडऩे के लिए अपने जान की बाजी लगा दी थी। आज ऐसे ही 3 शहीदों के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, जिनके अदम्‍य साहस और बलिदान पर देश के हर नागरिक को गर्व होगा। आईए, जानें देश के इन वीर सपूतों के बारे में:-

1) कैप्टन किशिंग क्लिफफोर्ड नॉनग्रुम(12 जैक लाई)
30 जून से 2 जुलाई 1999 की रात को कैप्टन कैप्टन किशिंग क्लिफफोर्ड नॉनग्रुम को एक सैन्य दल के साथ बाटालिक सब सैक्टर के प्वाइंट 4812 पर कभ्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कैप्टन किशिंग का सैन्यदल बड़ी बहादुरी से दुश्मनों कते पास्ट के नजदीक पहुंच गया। इसी बीच दुश्मनों ने उन पर भारी गोलाबारी शुरु कर दी। लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना कैप्टन किशिंग ने दुश्मनों पर ग्रेनेडों से हमला कर दिया। इसमें दुश्मनों के 6 सिपाही मारे गए। वे दुश्मनों की गोलियों से बुरी तरह घायल हो चुके थे, फिर भी वह आगे बढ़े और दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्हें उनकी वीरता के लिए ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। 

2) कैप्टन जिन्तु गोगोई(17 गढ़वाल राइफल)

असम के रहने वाले कैप्टन जिन्तु गोगोई 17 गढ़वाल राइफल गोलाघाट में तैनात थे। उस समय ऑप्रेशन विजय चल रहा था, जब कैप्टन जिन्तु गोगोई दुश्मनों के कई सैनिको को मारकर सूरज की पहली किरण के पड़ते ही अपनी टीम के साथ टॉप पर पहुंच गए। हालांकि, इस दौरान उन्हें दुश्मनों की गोलियों का शिकार भी होना पड़ा, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस के लिए ‘वीर चक्र’ से नवाजा गया था। 

3) नायक ब्रिज मोहन सिंह(9 पैरा- स्पेशल फोर्सिस)
नायक ब्रिज मोहन सिंह 30 सैनिकों की टीम के कमांडर थे। उन्हें मशकोह सब सैक्टर में च्सैंडो टॉपज् पर कब्जा करने का मिशन दिया गया। इसके साथ ही उनका दूसरा टॉस्क 5250 मीटर की उंचाई के पहाड़ पर कब्जा करके पाकिस्तान के लाजिस्टक बेस की तरफ बढऩा था। वे बढ़ी ही बहादुरी से अपने मिशन की और बढ़ते रहे और दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्हें कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस के लिए ‘वीर चक्र’ से नवाजा गया था।


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