''No Detention Policy'' पर इस राज्य सरकार का जोर, 8वीं कक्षा तक के बच्चों को मिलेगा फेल होने से राहत
punjabkesari.in Tuesday, Dec 24, 2024 - 09:10 AM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए आदेश के तहत 'No Detention Policy' को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसका उद्देश्य कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट न करने का था। इस बदलाव के बाद अब इन कक्षाओं के छात्रों को परीक्षा में असफल होने पर एक और मौका दिया जाएगा। असफल छात्रों को दो महीने के अंदर पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। यदि वे पुनः असफल होते हैं तो उन्हें उसी कक्षा में रोकने (रिटेन) का फैसला लिया जाएगा।
हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के इस आदेश को स्वीकार नहीं किया और राज्य में 'No Detention Policy' को जारी रखने का ऐलान किया। तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री, अंबिल महेश पोय्यामोझी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राज्य में कक्षा 8 तक यह नीति प्रभावी रहेगी। मंत्री ने कहा कि यह निर्णय राज्य के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है और यह गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा में किसी भी प्रकार की कठिनाई से बचाएगा।
केंद्रीय सरकार के फैसले का विवरण
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, अब कक्षा 5 और 8 के छात्र जो वार्षिक परीक्षा में असफल होंगे, उन्हें एक और मौका दिया जाएगा। यह मौका दो महीने के भीतर एक पुनः परीक्षा देने का होगा। यदि छात्र पुनः असफल होते हैं तो उन्हें अगले कक्षा में पदोन्नत (प्रमोशन) नहीं किया जाएगा। मंत्रालय का यह निर्णय 'फेल' छात्रों के लिए एक सख्त नीति की ओर इशारा करता है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को अपने प्रदर्शन में सुधार करना होगा। इस फैसले के पीछे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना था कि इससे छात्रों को उनकी अकादमिक स्थिति को सुधारने का अवसर मिलेगा और कक्षा में असफलता को बच्चों के विकास में रुकावट नहीं बनने दिया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह कदम भारतीय शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता सुधार के उद्देश्य से उठाया गया है।
तमिलनाडु सरकार का दृष्टिकोण
तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने इस केंद्रीय निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तमिलनाडु ने 'No Detention Policy' को जारी रखने का फैसला लिया है क्योंकि यह नीति राज्य के बच्चों, खासकर गरीब परिवारों के बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है। उन्होंने कहा, "केंद्रीय सरकार का यह निर्णय गरीब बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करने में बड़ी रुकावट पैदा करेगा। ऐसे बच्चों को जिनके पास उचित शैक्षिक संसाधन नहीं हैं, इस नीति में बदलाव से उन्हें बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।" मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का पालन नहीं करता और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का यह निर्णय केवल उन्हीं स्कूलों पर लागू होगा, जो केंद्र सरकार के नियंत्रण में आते हैं। यानी राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर यह निर्णय लागू नहीं होगा। तमिलनाडु में शिक्षा नीति में कोई भी बदलाव नहीं होगा, और राज्य सरकार अपनी मौजूदा 'No Detention Policy' को जारी रखेगी।
'No Detention Policy' के महत्व और आलोचना
'No Detention Policy' की शुरुआत 2009 में की गई थी, जब सरकार ने यह निर्णय लिया कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के दौरान उन्हें किसी भी कक्षा में असफल नहीं किया जाएगा। इसके अंतर्गत अगर कोई बच्चा वार्षिक परीक्षा में फेल भी हो जाता था, तो भी उसे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। इसका उद्देश्य था बच्चों के आत्म-सम्मान को बनाए रखना और उन्हें शैक्षिक दवाब से बचाना, ताकि वे स्कूल छोड़ने के बजाय पढ़ाई में निरंतर लगे रहें। हालांकि, इस नीति की आलोचना भी हुई थी, क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि इससे छात्रों में शिक्षा के प्रति गंभीरता कम हो सकती है और अकादमिक गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसके बावजूद, तमिलनाडु सरकार ने इसे जारी रखने का निर्णय लिया है, यह मानते हुए कि इस नीति से राज्य के छात्रों को शिक्षा में एक स्थिर वातावरण मिलता है, जो उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
राज्य सरकार के फैसले का प्रभाव
तमिलनाडु में 'No Detention Policy' को जारी रखने के निर्णय से राज्य के विद्यार्थियों को एक राहत मिली है, क्योंकि इससे गरीब परिवारों के बच्चों को खास तौर पर फायदा होगा। सरकार का मानना है कि इस नीति से बच्चों को मानसिक दबाव से बचने का मौका मिलेगा और वे अपनी शिक्षा पूरी करने में सक्षम होंगे। वहीं, केंद्रीय सरकार के फैसले से उन बच्चों के लिए कठिनाइयाँ बढ़ सकती थीं, जिनके पास शैक्षिक संसाधन और तैयारी की स्थिति कमजोर है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 'No Detention Policy' को समाप्त करने के फैसले ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है, खासकर उन राज्यों में जहां इस नीति का व्यापक पालन किया जा रहा है। तमिलनाडु ने इस फैसले को नकारते हुए अपनी शिक्षा नीति को बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्यों को अपनी शिक्षा व्यवस्था को लेकर स्वतंत्रता और लचीलापन होता है। राज्य सरकार का यह कदम सुनिश्चित करता है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए उनके आत्म-सम्मान और मानसिक स्थिति का भी ख्याल रखा जाएगा।