Gold Alert: इन 4 वजह से 1 लाख से नीचे आ सकता है सोना... एक्सपर्ट्स का दावा; ट्रंप हैं सबसे बड़े कारण

punjabkesari.in Thursday, Oct 30, 2025 - 04:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क : सोना हमेशा से निवेशकों के लिए भरोसेमंद और सुरक्षित विकल्प रहा है। जब भी दुनिया में युद्ध, मंदी या आर्थिक अस्थिरता जैसी स्थिति पैदा होती है, तो लोग अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख करते हैं। लेकिन अब हालात बदलते नज़र आ रहे हैं। कई अंतरराष्ट्रीय संकेत यह दर्शा रहे हैं कि आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में भारी गिरावट संभव है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे जा सकता है। पिछले कुछ समय से दुनिया भर में मंदी का डर, व्यापारिक तनाव और युद्ध जैसी स्थितियों ने सोने-चांदी की कीमतों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। मगर अब देशों के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं और बाजार में स्थिरता लौटने लगी है। निवेशकों का झुकाव दोबारा शेयर बाजार और अन्य सेक्टरों की ओर बढ़ रहा है, जिससे सोने-चांदी की चमक फीकी पड़ने की संभावना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक स्तर पर कुछ अहम राजनीतिक और आर्थिक मोर्चों पर सकारात्मक बदलाव आते हैं, तो सोना बड़ी गिरावट की ओर जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इन संभावित कारणों के केंद्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां और उनके अंतरराष्ट्रीय फैसले प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। अब आइए जानते हैं वो चार मुख्य वजहें जो आने वाले समय में सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट का बड़ा कारण बन सकती हैं

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1. अमेरिका-चीन ट्रेड डील से बाजार में बढ़ी उम्मीदें

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और चीन पिछले कुछ सालों से ट्रेड वॉर, टैरिफ और सप्लाई चेन तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रही थीं। इसका असर वैश्विक बाजारों और सोने की कीमतों पर साफ देखा गया था। लेकिन अब हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच लगातार सकारात्मक बातचीत चल रही है और जल्द ही एक बड़ी ट्रेड डील होने की उम्मीद है।
अगर ये समझौता हो जाता है, तो निवेशकों का भरोसा फिर से इक्विटी और इंडस्ट्री सेक्टर में लौटेगा, जिससे सोने की मांग घट सकती है और कीमतें नीचे आ सकती हैं।

2. भारत-अमेरिका के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध

भारत सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। ऐसे में भारत-अमेरिका के बीच अगर नया ट्रेड एग्रीमेंट होता है, तो इसका असर सीधे भारतीय सोना बाजार पर पड़ेगा। ट्रेड समझौते से विदेशी निवेश बढ़ेगा, रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। जब रुपया मजबूत होता है, तो सोना आयात करना सस्ता पड़ता है। इससे घरेलू स्तर पर सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी निवेशकों को निकट भविष्य में सोने के दामों में राहत मिलने की संभावना है।

3. इजरायल-हमास संघर्ष में संभावित विराम

मध्य पूर्व क्षेत्र में जारी इजरायल-हमास संघर्ष ने लंबे समय से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाला है। इस युद्ध के चलते तेल की कीमतें बढ़ीं और बाजारों में डर का माहौल बना। नतीजतन, निवेशकों ने सोने में पैसा लगाया, जिससे इसकी कीमतें चढ़ गईं। अब संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पक्षों में संघर्ष विराम की बातचीत आगे बढ़ रही है और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। अगर यह संघर्ष विराम होता है, तो वैश्विक बाजारों में स्थिरता आएगी और निवेशक फिर से शेयर, बॉन्ड और रियल एस्टेट जैसे प्रॉफिट वाले सेक्टरों की ओर लौटेंगे। इससे स्वाभाविक रूप से सोने की चमक फीकी पड़ जाएगी।

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4. पाकिस्तान-अफगानिस्तान में शांति की संभावनाएं

दक्षिण एशिया लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में स्थायी युद्धविराम (सीजफायर) होता है, तो क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक भरोसा बढ़ेगा। हालांकि इन दोनों देशों का वैश्विक व्यापार में बड़ा योगदान नहीं है, लेकिन यहां शांति स्थापित होने से पूरे क्षेत्र में निवेश का माहौल सुधर सकता है। जब निवेशक जोखिम उठाने के लिए तैयार होते हैं, तो वे सोने से हटकर अन्य क्षेत्रों में पैसा लगाते हैं, जिससे सोने की मांग कम होती है।


 


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Content Editor

Mehak

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