डोकलाम ही नहीं ये 15 बातें भी हैं भारत-चीन के बीच तनाव का कारण

punjabkesari.in Monday, Jul 24, 2017 - 09:46 AM (IST)

नई दिल्लीः चीन अपनी विस्तारवादी नीति एवं आक्रामक रुख के कारण भारत समेत तमाम पड़ोसियों के लिए बड़ा खतरा है। चीन की विस्तारवादी नीति से तिब्बत, भारत, भूटान, नेपाल, ताईवान, वियतनाम, दक्षिणी कोरिया, मलेशिया, मंगोलिया, ब्रूनेई, जापान समेत उसके तमाम पड़ोसी देश बेहद परेशान हैं। भारत में लद्दाख का बहुत बड़ा भू-भाग चीन पहले ही हड़प कर चुका है और अब उसकी नजर अरुणाचल एवं सिक्किम पर है। तिब्बत को हड़पने के बाद चीन अब भूटान को हड़पने की कोशिश में है। पिछले काफी समय से डोकलाम सीमा को लेकर भारत-चीन में तनातनी चल रही है लेकिन दोनों देशों के बीच डोकलाम के अलावा ये 15 कारण भी तनाव बने हुए हैं।

1.दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण नहीं
भारत और चीन के बीच लगभग 4 हजार किलोमीटर लम्बी सीमा है लेकिन यह पूरी तरह निर्धारित नहीं है। इसका कारण यह है कि 1914 में मैकमोहन ने जो सीमा तय की थी उसे चीन नहीं मानता और इसीलिए चीनी सेना अक्सर आगे बढऩे की कोशिश करती रहती है। ऐसे में भारत और चीन की सेना का जहां तक कब्जा है अस्थायी तौर पर उसे ही वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया है।

2. भारत-अमरीका और जापान में सहयोग चीन को रास नहीं आया
भारत-अमरीका और जापान में बढ़ती नजदीकियों से चीन असहज महसूस कर रहा है। हिंद महासागर में भारत और अमरीका की सक्रियता से भी चीन नाराज है, लेकिन चीन की यह आदत बन चुकी है कि जब कोई देश उसकी हरकतों के खिलाफ  आवाज उठाता है तो वह अपनी गतिविधियां तेज कर देता है।

3. हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियां
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियां भी भारत-चीन संबंधों में तनाव का कारण हैं।

4. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का विरोधी चीन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का चीन ने हमेशा विरोध किया है। यही नहीं जिस सदस्यता का चीन विरोध कर रहा है यह सबसे पहले 1953 भारत को पेशकश हुई थी।

5. मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित होने में चीन का अड़ंगा
संयुक्त राष्ट्र में अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करके चीन पाकिस्तान में छिपे भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का बचाव करता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने की भारत की मुहिम में अड़ंगा अटकाता है।

6. भारत के बड़े  भू-भाग पर कब्जा
वर्ष 1962 में युद्ध के दौरान भारत के बहुत बड़े भू-भाग पर कब्जा करने के बाद से चीनी सेना द्वारा अक्सर इस क्षेत्र में कब्जे का प्रयास किया जाता रहा है।

7. अरुणाचल प्रदेश पर दावा और स्टैपल वीजा
चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता है इसीलिए अरुणाचल को विवादित क्षेत्र के तौर पर प्रचारित करने के लिए चीन वहां के निवासियों को स्टैपल वीजा देता है जिसका भारत ने हमेशा विरोध किया है।

8. चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर  
चीन द्वारा खाड़ी देशों पर अपना सामान पहुंचाने के लिए बनाया जा रहा आॢथक गलियारा (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर) वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर से ही होकर गुजरता है।

9. तिब्बती नेताओं को आश्रय
भारत-चीन संबंधों में तनाव के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है तिब्बत। चीन ने तिब्बत के नेताओं को भगाकर वहां कब्जा कर रखा है जबकि भारत ने न केवल तिब्बती नेताओं को आश्रय दिया है बल्कि अपनी जमीन देकर निर्वासित सरकार का गठन भी करवाया है। यह बात चीन को बिल्कुल पसंद नहीं है।

10. ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध विवाद
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर कई बांध बना रहा है और उसका पानी वह नहरों के जरिए उत्तरी चीन के इलाकों में ले जाना चाहता है। भविष्य में इस मसले के बड़ा विवाद बनने की आशंकाओं को ध्यान में रख भारत इस मसले को द्विपक्षीय बातचीत में उठाता रहा है।

11. चीन का चिन क्षेत्र में सड़क बनाना
लद्दाख में यह सड़क बना कर चीन ने विवाद का एक और मसला खड़ा किया है। अक्साई चिन रोड को लेकर भारत और चीन में टकराव भी हो चुका है और दोनों देश 1993 और 1996 में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

12. जे.एंड के. को भारत का अंग मानने में आनाकानी
चीन जम्मू-कश्मीर को भी भारत का अभिन्न अंग मानने से आनाकानी करता रहा है इसलिए उसने यहां के नागरिकों को भी स्टैपल वीजा देने का प्रयास किया था।

13. पीओके में चीन की बढ़ती गतिविधियां
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन की बढ़ती गतिविधियां भी भारत-चीन संबंधों में तनाव का बहुत बड़ा कारण हैं।

14. दलाईलामा को आश्रय और सम्मान
चीन तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता है क्योंकि उसे डर है कि बौद्ध धर्मानुयायी दलाईलामा के प्रवचनों से प्रभावित होकर चीन के खिलाफ बगावत कर सकते हैं लेकिन भारत दलाईलामा को पूरा सम्मान देता है।

15. चीन की साऊथ चाइना सी में प्रभुत्व की कोशिश
चीन साऊथ चाइना सी इलाके में अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिशें कर रहा है। यहां उसे वियतनाम, जापान और फिलीपींस से चुनौती मिल रही है। वियतनाम की दो तेल ब्लॉक परियोजनाओं में शामिल भारतीय कंपनियों को चेतावनी दी है कि वह साउथ चाइना सी से दूर रहें।


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