पूरे दिन में किस समय हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा... डॉक्टरों ने दी जानकारी
punjabkesari.in Saturday, Sep 06, 2025 - 07:13 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हाल के वर्षों में सभी उम्र के लोगों में हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अखबारों और खबरों में रोजाना हार्ट अटैक और इससे जुड़ी मौतों की खबरें सुनने को मिलती हैं।भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव, गलत खान-पान और नींद की कमी ने दिल पर इतना दबाव बढ़ा दिया है कि हार्ट अटैक अब आम समस्या बन गया है। आइए जानते है कि किस समय हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होतो है...
इस समय आते हैं ज्यादा अटैक
लोगों के मन में कई सवाल होते हैं कि हार्ट अटैक फिटनेस फ्रीक यानी स्वस्थ दिखने वाले लोगों में भी क्यों हो रहा है, बच्चे भी इसका शिकार क्यों बन रहे हैं और दिन के किस समय हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। शोधों से पता चला है कि हार्ट अटैक का खतरा पूरे दिन समान नहीं रहता। खासकर सुबह के समय यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसका कारण है हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक या सर्कैडियन रिदम, जो शरीर के कई कामों को नियंत्रित करता है।
डॉक्टर का बयान
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. दिमित्री यारानोव बताते हैं कि हार्ट अटैक कभी भी हो सकता है, लेकिन इसका खतरा सुबह के शुरुआती घंटों में सबसे ज्यादा रहता है, खासकर जब आप अभी बिस्तर पर होते हैं। डॉक्टर के अनुसार, सुबह के समय शरीर में कोर्टिसोल नाम का तनाव हार्मोन बढ़ जाता है, जिससे रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप बढ़ जाता है। जो लोग पहले से उच्च रक्तचाप या धमनियों में प्लाक की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके लिए सुबह का समय सबसे खतरनाक हो सकता है।
समय पर लेनी चाहिए दवाइयां
अगर आप ब्लड प्रेशर या हृदय की दवाइयां लेते हैं तो उन्हें नियमित और सही समय पर लेना बेहद जरूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्तचाप की दवा सुबह की बजाय रात में लेने से ज्यादा फायदा होता है। इस अध्ययन में 19,000 से ज्यादा मरीजों पर देखा गया कि दवा रात को लेने से हृदय रोग और उससे मौत का खतरा आधा हो जाता है।
हृदय रोगों की बढ़ती संख्या
हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में होने वाली मौतों में से लगभग एक-तिहाई मौतें हृदय रोगों के कारण होती हैं। दिल की बीमारियां देश में मौतों का सबसे बड़ा कारण बन चुकी हैं। विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बदलती जीवनशैली और खराब खानपान के कारण ये आंकड़े और बढ़ सकते हैं।