लोकतंत्र में राजनीतिक विरोधी हो सकते हैं, व्यक्तिगत नहीं: अश्विनी कुमार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2017 - 11:01 PM (IST)

नई दिल्ली: देश के पूर्व कानून मंत्री डा. अश्विनी कुमार की पिछले दिनों दूसरी पुस्तक ’ होप इन द चैलेंज्ड डैमोक्रेसी एन इंडियन नैरेटिव’ लांच हुई। इसका विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एम. वेंकटचलैया आदि महान हस्तियों की उपस्थिति में दिल्ली में हुआ। इस किताब पर देश-विदेश के महान लोगों ने टिप्पणी की है।

इसमें फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री डॉमिनिक विल पैन एवं ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विधि विभाग के अध्यक्ष निमोथी इंडीकोट और न्यूयार्क विश्वविद्यालय के प्रोफैसर लू मैरीनॉफ शामिल हैं। इस किताब के माध्यम से अश्विनी कुमार ने देश के सामने भारत के लोकतंत्र से जुड़े अहम सवाल खड़े किए हैं। पंजाब केसरी ग्रुप के सुनील पांडेय से विशेष बातचीत में डा. कुमार ने अपनी सोच और इस किताब के मकसद पर रोशनी डाली। 

प्रश्न: इस पुस्तक में क्या खास बात है? 
उत्तर: अपने 14 वर्ष के सांसद कार्यकाल के दौरान मुझे राज्यसभा में देश से जुड़े अहम मुद्दों पर अपने विचार रखने का मौका मिला और उनमें से अपने कुछ वक्तव्यों का उल्लेख इस किताब में किया है। मेरा यह मानना है कि अधिकतर सांसद अपने विवेक और क्षमता के मुताबिक देश के ज्वलंत मुद्दों पर समय-समय पर अपनी बात रखते हैं। सभी अपने कत्र्तव्यों का निर्वाह करते हैं लेकिन गंभीर विषयों की संसद में चर्चा होने पर उन्हें मीडिया और अखबारों द्वारा तरजीह नहीं दी जाती। इस किताब के माध्यम से मैंने यह बताने की कोशिश की है कि संसद का आज भी महत्व है और इस महत्व को बनाए रखना है। इसके अलावा इन वर्षों में जिन अहम मुद्दों पर मैंने लेख लिखे हैं वही मुद्दे आज भी देश के अहम मुद्दे हैं। 

इस किताब में उनके राजनीतिक और वकालत के करियर के अनुभवों के साथ ही देश के लोकतांत्रिक, सामाजिक, आर्थिक पहलुओं के गहन अध्ययन का सार है। सामाजिक, आर्थिक असमानता के साथ ही लोकतंत्र की खामियों और उसके खतरों को लेकर आगाह किया गया है। वह यह भी मानते हैं कि लोकतंत्र में बहुमत ही सब कुछ है मगर बहुमत अगर गलत दिशा में जाने लगे और लोकतंत्र विकृत स्वरूप लेने लगे तो उसे संविधान के दायरे में लाने की जरूरत है। उनका मानना है कि भारतीय लोकतंत्र संवैधानिक है। संविधान की मर्यादा बनाए रखना जरूरी है। 

प्रश्न: असली मुद्दों से क्यों भटक रही है सियासत?
उत्तर: चिंता इस बात की है कि हमारी लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया में जो देश के सबसे गहन मुद्दे हैं वे पूरी तरह से ओझल हो जाते हैं और चुनावी परिणाम जाति, धर्म, क्षेत्रवाद, धन और बल से प्रभावित होते हैं। पिछले कई वर्षों से देख रहे हैं, चाहे आतंकवाद की बात हो, माओवादी हिंसा हो या लोकतांत्रिक संस्थाओं की बढ़ती कमजोरी की बात, अमीर-गरीब में बढ़ते फासले का मुद्दा हो, पर्यावरण की चुनौती का या देश की सुरक्षा का मसला हो, इनमें से किसी भी मुद्दे पर चुनावी नतीजे निर्भर हैं। 

प्रश्न: राजनीति का स्तर क्यों गिर रहा है? 
उत्तर: आज की सारी राजनीति कटाक्ष, कटुता और आक्षेप पर आधारित है। यही कारण है कि देशवासियों का विश्वास राजनीतिक दलों और उनके नेतृत्व से उठ रहा है। 

प्रश्न: दिनों-दिन न्यायपालिका का दखल बढ़ रहा है? 
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद हर रोज मीडिया ट्रायल हो रहा है। लोगों और नेताओं का मीडिया ट्रायल व व्यक्तिगत आत्मसम्मान बाकायदा हनन किया जा रहा है तथा इसका कोई समाधान नहीं सूझ रहा है। नेताओं और राजनीतिक पार्टियों की कम होती विश्वसनीयता के कारण देश की न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका का काम कर रही है। 

प्रश्न: राजनीति में निजी आरोप-प्रत्यारोप का चलन बढ़ा? 
उत्तर:  मेरा यह मानना है कि आज देश में लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल सैद्धांतिक फैसला करें कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर आम राय बनाकर आगे बढ़ें, जिसके लिए कटुता और आक्षेप की राजनीति से ऊपर उठना जरूरी है। 

प्रश्न: कांग्रेस पार्टी कहां जा रही है, क्यों नहीं उभर पा रहा है कांग्रेस नेतृत्व? 
उत्तर: कांग्रेस पार्टी को यदि अपनी प्रतिष्ठा को बहाल करना है तो हर सतह पर बढिय़ा नेतृत्व को आगे बढ़ाना होगा और राजनीतिक शैली को मुद्दों व सिद्धांतों की शैली में ढालना होगा। बिना आदर्शवादी और सैद्धांतिक राजनीति के कांग्रेस या कोई और पार्टी देश में अपना वर्चस्व नहीं बना सकती। क्षेत्रीय दलों का विकास जमीनी सच्चाई है इसलिए भी राष्ट्रीय दलों के लिए अनिवार्य है कि वे अपनी नीतियों और अपने राजनीतिक संवाद को लोगों की आकांक्षाओं के मुताबिक ढालें। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले कई वर्षों से कांग्रेस का कुशल नेतृत्व किया है। अब राहुल गांधी को कुशल नेतृत्व को साबित करने की जरूरत है। 

प्रश्न: 5 राज्यों में हुए चुनाव में सिर्फ पंजाब में कांग्रेस जीती, सेहरा किसे? 
उत्तर: पंजाब में कांग्रेस की शानदार विजय का सेहरा मुख्य तौर पर कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व को जाता है। इसके साथ ही कांग्रेस के हजारों कार्यकत्र्ताओं की मेहनत और कार्यशैली का बहुत बड़ा रोल रहा है।   


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