Breast Cancer की होती हैं 4 स्टेज, जानिए किस स्टेज तक है बचने की संभावना
punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 04:59 PM (IST)
नेशनल डेस्क : हाल ही में टीवी एक्ट्रेस हिना खान को तीसरे स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ है और वे कीमोथेरेपी ले रही हैं। भारत में विभिन्न उम्र की सैकड़ों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की अलग-अलग स्टेज से जूझ रही हैं। हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि जितनी जल्दी कैंसर का पता चलता है, उतना ही इलाज करना आसान और प्रभावी होता है। आइए जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर की कौन-कौन सी स्टेज होती हैं और इनमें मरीज के ठीक होने की कितनी संभावना होती है?
ब्रेस्ट कैंसर की स्टेज
स्टेज-1 कैंसर
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स्थिति: इस स्टेज में कैंसर छोटा होता है और आमतौर पर ब्रेस्ट टिश्यू में ही सीमित होता है। कभी-कभी यह ब्रेस्ट के पास के लिम्फ नोड्स में भी हो सकता है।
- इलाज की संभावना: इसका इलाज करना आसान होता है, और मरीज के ठीक होने की संभावना 90% होती है।
स्टेज-2 कैंसर
- स्थिति: यह ब्रेस्ट कैंसर की दूसरी स्टेज है और इसे भी अर्ली स्टेज माना जाता है। इस दौरान कैंसर के टिश्यू ब्रेस्ट और उसके आस-पास के लिम्फ नोड्स में फैल सकते हैं।
- इलाज की संभावना: इसमें मरीज के ठीक होने की संभावना 80% होती है।
स्टेज-3 कैंसर
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स्थिति: यह स्टेज एडवांस होती है। इस दौरान कैंसर सेल्स ब्रेस्ट के साथ-साथ लगभग 10 लिम्फ नोड्स तक फैल जाते हैं।
- इलाज की संभावना: इसमें 60 से 70% मरीजों के ठीक होने की संभावना होती है।
स्टेज-4 कैंसर
- स्थिति: यह ब्रेस्ट कैंसर की अंतिम और सबसे गंभीर स्टेज है। इसमें कैंसर ब्रेस्ट और लिम्फ नोड्स के अलावा शरीर के अन्य अंगों जैसे हड्डियों और फेफड़ों तक फैल चुका होता है।
- इलाज की संभावना: इस स्टेज में मरीज के बचने की संभावना 40% या उससे कम होती है।
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सेल्फ एग्जामिनेशन: बचाव का एकमात्र तरीका
डॉ. जीके रथ के अनुसार, आज ब्रेस्ट कैंसर का बेहतरीन इलाज मौजूद है, लेकिन इसका कोई प्रिवेंशन या वैक्सीन नहीं है। इसलिए, इसका अर्ली डिटेक्शन बेहद जरूरी है।
सेल्फ एग्जामिनेशन के तरीके
महिलाएं हर महीने अपने ब्रेस्ट का सेल्फ एग्जामिनेशन करें। जांचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:
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ब्रेस्ट और आसपास के हिस्से में गांठ या दर्द तो नहीं है?
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निप्पल से कोई रिसाव तो नहीं है?
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ब्रेस्ट का आकार सामान्य है या असामान्य हो रहा है?
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ब्रेस्ट लाल या सूजा तो नहीं है?
इन तरीकों से महिलाएं जल्दी से कैंसर का पता लगा सकती हैं और सही समय पर इलाज ले सकती हैं। नियमित सेल्फ एग्जामिनेशन से ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।