ऑफ द रिकॉर्डः ...तो गैंगस्टर विकास दुबे कानपुर से भागकर इसलिए पहुंचा था उज्जैन

Sunday, Jul 19, 2020 - 04:06 AM (IST)

नई दिल्लीः कानपुर के बिकरू गांव में उत्तर प्रदेश के आठ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे ने बचते-बचाते मध्य प्रदेश के उज्जैन जाकर ही क्यों आत्मसमर्पण किया? इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी सामने आई है। विकास दुबे और उसके गैंग के खिलाफ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे तथा यू.पी. में चाहे किसी की भी सरकार आई-गई, उसके काले कारनामे फलते-फूलते रहे। 

सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने भी तीन साल तक कुछ नहीं कहा परंतु उसको भी इस तरह हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की कीमत आठ पुलिसकर्मियों की जान से चुकानी पड़ी। लेकिन विकास दुबे ने इन पुलिसकर्मियों की हत्या करके स्वयं अपनी मौत को दावत दे दी थी। कारनामा करने के बाद वह और उसके गैंग के लगभग 20 सदस्य अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग निकले। विकास दुबे भागते हुए उज्जैन जा पहुंचा। लाख टके का सवाल है कि इस गैंगस्टर ने महाकाल की इस नगरी को ही क्यों चुना? यह बात सामने आई है कि विकास दुबे ने बिचौलियों के जरिए मध्य प्रदेश के ताकतवर भाजपा मंत्री नरोत्तम मिश्रा से संपर्क किया। 

दुबे ने एक ही मांग की थी कि उसे आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जाए तथा पुलिस उसे लेकर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण के लिए पेश करे। नरोत्तम मिश्रा कभी उत्तर प्रदेश के कानपुर में भाजपा के प्रभारी हुआ करते थे। उस समय के दौरान विकास दुबे और नरोत्तम मिश्रा एक -दूसरे को जानने लगे थे। यह संयोग है कि नरोत्तम मिश्रा आज मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री बन गए हैं। मजेदार बात यह है कि अन्य जिम्मेदारियों के अलावा नरोत्तम मिश्रा उज्जैन जिला के प्रभारी भी हैं। जब विकास दुबे ने बिचौलियों के जरिए नरोत्तम मिश्रा से संपर्क किया तो उन्होंने तुरंत मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को सारी बात बताकर विश्वास में लिया और आगे का घटनाक्रम चल पड़ा। 

शिवराज चौहान ने भी कई लोगों से बात की और उसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन लगाया। यू.पी. के मुख्यमंत्री हर हाल में विकास दुबे की गर्दन अपने हाथ में चाहते थे। इस तरह मंच सज गया और हर कदम योजना के साथ उठाया गया। विकास दुबे महाकाल मंदिर पहुंचा और पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करके कहा कि उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए। परंतु विकास दुबे का काल आ चुका था। उसे यह सुनकर झटका लगा कि उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया जाएगा। 

अत: वह अपना बयान नहीं दर्ज करवा पाया। विकास दुबे की उम्मीद के विपरीत मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जो उसे दबोचने के लिए रात-दिन एक किए हुए थी। अब तक लोगों की जिंदगियों की पटकथा लिखने वाले विकास दुबे की जिंदगी का क्लाइमैक्स किसी और ने लिखा था।

Pardeep

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