सुप्रीम कोर्ट ने की बुलडोजर कार्रवाई की आलोचना, कहा- ये हमारी अंतरआत्मा को झकझोरता है

punjabkesari.in Tuesday, Apr 01, 2025 - 04:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) को फटकार लगाते हुए प्रयागराज में घरों को गिराने की कार्रवाई को ‘‘अमानवीय और अवैध’’ करार दिया। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस कार्रवाई को ‘‘अनुचित’’ बताया और कहा कि इसे इस तरह से नहीं किया जा सकता।

पीठ ने कहा कि ‘‘भारत में कानून का शासन है’’ और नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने कहा, ‘‘इसने हमारी अंतरात्मा को झकझोरा है। आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया की अहमियत होती है।’’

मुआवजा देने का आदेश
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर प्रत्येक प्रभावित घर मालिक को 10 लाख रुपए का मुआवजा प्रदान करे। अदालत ने पहले भी राज्य सरकार और प्राधिकरण की आलोचना की थी, यह कहते हुए कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए घरों को गिराने से ‘‘खराब और गलत संकेत’’ गए हैं।

अतीक अहमद के नाम पर हुई कार्रवाई
यह कार्रवाई उन मकानों पर की गई थी, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने यह मानकर गिरा दिया था कि यह जमीन गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की है, जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि सरकार ने गलत तरीके से यह कार्रवाई की।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की याचिका खारिज
प्रयागराज में जिन मकान मालिकों के घर गिराए गए थे, उन लोगों ने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस कार्रवाई को चुनौती दी थी, लेकिन उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं को प्रयागराज जिले के लूकरगंज में कुछ निर्माणों से संबंधित नोटिस 6 मार्च 2021 को जारी किया गया था।

न्यायालय का निर्देश
उच्चतम न्यायालय ने इस कार्रवाई पर गंभीर आपत्ति जताते हुए यह सुनिश्चित करने की बात की कि भविष्य में इस तरह की ‘‘अमानवीय और अवैध’’ कार्यवाहियों को रोका जाए। न्यायालय ने नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया और कहा कि इस तरह के कदम नागरिकों को डर और असुरक्षा का सामना कराते हैं।


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Content Editor

Harman Kaur

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